
कठुआ 27 फरवरी (न्यूज़ एजेंसी)। चिनाब टेक्सटाइल मिल्स कठुआ प्रबंधन द्वारा एक पत्रकार वार्ता का आयोजन किया गया। जिसमें उन्होंने महिला सशक्तिकरण को ध्यान में रखते हुए अधिक से अधिक महिलाओं को रोजगार प्रदान करने हेतु प्रयास किया है।
गुरूवार को चुनाव टेक्सटाइल मिल की ओर से उपेंद्र कुमार पटनायक जॉइंट एग्जीक्यूटिव प्रेसिडेंट और मनोज कुमार झा सीनियर वाइस प्रेसिडेंट ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए बताया कि जम्मू कश्मीर सरकार के अधिसूचना के तहत पिछले एक वर्ष से अधिक समय से सभी नियमों को सशर्त पालन करते हुए हमारे संस्थान में महिला कामगार रात्रि पाली में नियोजित आ रही है। हमारे संस्थान में सभी कामगार खुश होकर कार्य कर रहे हैं फिर भी प्रबंधन ने एक यूनिट को 8 घंटे के रोटेशन शिफ्ट में महिला कामगारों के लिए 1 मार्च से चलाने का निर्णय लिया है इसके वावत सूचना 19 फरवरी को लगा दी गई थी। उपेंद्र कुमार पटनायक जॉइंट एग्जीक्यूटिव प्रेसिडेंट ने बताया कि कैसे समस्त विश्व भारी आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा है, इस आर्थिक संकट का प्रभाव हमारे उद्योग पर भी काफी गहरा पड़ा है फिर भी सीटीएम प्रबंधन मिल को सुचारू रूप से चला रहा है। उन्होंने बताया कि हमें भी कुछ स्पिंडल बंद करने की नौबत है लेकिन फिर भी उच्च प्रबंधन से बात कर ग्रुप के दूसरे कंपनी में स्पिंडल को बंद कराकर सीटीएम कठुआ के पूरे प्लांट को चालू रखा है ताकि हमारे लोगों को नियमित रोजगार मिले। उन्होंने बताया कि बीते दिनों कुछ शरारती तत्वों द्वारा मिल को अस्थिर करने का प्रयास किया गया था जोकि काफी निंदनीय है। संस्थान के अस्थिर होने पर उत्पादन प्रक्रिया बाधित होती है साथ में गुणवत्ता भी काफी हद तक प्रभावित होती है और कंपनी के अनुशासन पर भी काफी विपरीत प्रभाव पड़ता है। उन्होंने बताया कि सीटीएम जम्मू कश्मीर का सबसे बड़ा प्लांट है जिसे कुछ शरारती तत्व साजिश के तहत अस्थिर करना चाहते हैं जिसका विपरीत प्रभाव उद्योग पर गहरा असर डाल सकता है। वहीं उन्होंने अपने श्रमिकों को भी अपील की है कि किसी के भी बहकावे में ना आए कोई भी शरारती तत्व अगर आपको बहकाने का प्रयास करता है तो सीटीएम प्रबंधन से उसकी शिकायत करें। उन्होंने कहा कि सीटीएम प्रबंधन अपने श्रमिकों को अपना परिवार मानता है जो भी फैसला प्रबंधन की ओर से लिया जाता है वे फैसला श्रमिकों के हित में होते हैं इसलिए शरारती तत्वों के बहकावे में ना आएं।
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न्यूज़ एजेंसी/ सचिन खजूरिया
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