राज्य पर बढ़ता कर्ज और बजट असंतुलन पर नेता प्रतिपक्ष का हमला

टीकाराम जूली  फाइल फाेटाे

जयपुर, 27 फरवरी (न्यूज़ एजेंसी)। राजस्थान विधानसभा में गुरुवार को बजट बहस के दौरान नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने सरकार पर कर्ज बढ़ाने और वित्तीय कुप्रबंधन के आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि प्रदेश पर कर्ज का भार लगातार बढ़ता जा रहा है, लेकिन सरकार न तो राजस्व बढ़ा पा रही है और न ही बजट का सही उपयोग कर पा रही है।

जूली ने कहा कि सरकार ने ऊर्जा क्षेत्र में बजट से अधिक धन खर्च किया, लेकिन इसके बावजूद प्रदेश में बिजली संकट बरकरार है। उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर यह पैसा जा कहां रहा है, जब जनता को पर्याप्त बिजली ही नहीं मिल रही। उन्होंने कहा कि सरकार टैक्स वसूली में भी असफल रही है, जिससे 4 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। न आप पूरा टैक्स वसूल पा रहे हैं, न ही पूरा बजट खर्च कर पा रहे हैं। सरकार ने जो अनुमान लगाए थे, वे दोनों ही पूरे नहीं हो पाए।

नेता प्रतिपक्ष ने सरकार के एसेट मोनेटाइजेशन (सरकारी संपत्तियों की बिक्री) के फैसले की आलोचना की। उन्होंने कहा कि यह सरकार अब सरकारी संपत्तियां बेचकर धन जुटाने की योजना बना रही है। इससे बुरी वित्तीय स्थिति और क्या होगी? उन्हाेंने कहा कि सामाजिक सुरक्षा पेंशन समय पर नहीं मिल रही है। झुंझुनूं का एक उदाहरण देते हुए कहा कि एक बुजुर्ग जब कलेक्ट्रेट में पेंशन मांगने गया, तो उसे जेल में डाल दिया गया। उन्होंने कहा कि सामाजिक सुरक्षा पेंशन बुजुर्गों के सम्मान की योजना है, लेकिन सरकार इस पर भी ध्यान नहीं दे रही।

सरपंचों के चुनाव न कराए जाने को लेकर भी जूली ने मुख्यमंत्री पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि सरपंच उम्मीद कर रहे थे कि उनमें से कोई मुख्यमंत्री बनेगा, लेकिन अब वे खुद सरपंचों के चुनाव नहीं करवा रहे। उन्होंने कहा कि सरकार का दावा है कि पैसा उड़ रहा है, जबकि 3500 करोड़ रुपये राज्य के मनरेगा खाते में बचे हुए हैं और मनरेगा में काम करने वालों की संख्या भी आधी हो गई है।

राज्य की वित्तीय स्थिति पर चिंता जताते हुए जूली ने कहा कि प्रदेश पर कर्ज का बोझ इतना बढ़ चुका है कि भविष्य में इसे चुकाना मुश्किल हो जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार अगले वित्त वर्ष में 84 हजार करोड़ रुपये का कर्ज ले रही है, जिससे प्रदेश के हर नागरिक पर लगभग एक लाख रुपये का कर्ज हो जाएगा।

जूली ने कहा कि विदेशों में पढ़ रहे छात्रों के लिए 215 करोड़ रुपये का बजट तय किया गया था, लेकिन सरकार सिर्फ 81 करोड़ रुपये ही खर्च कर पाई। इससे विदेशों में पढ़ रहे छात्रों को आर्थिक संकट झेलना पड़ रहा है। सरकारी कर्मचारियों के लिए आठवें वेतन आयोग की मांग करते हुए जूली ने कहा कि सरकार ने अभी तक इसके लिए कमेटी तक नहीं बनाई, जबकि दिल्ली में चुनावों के चलते वहां समिति गठित कर दी गई।

जूली ने मुख्यमंत्री के पुराने ट्वीट्स का हवाला देते हुए कहा कि जब वे संगठन में महामंत्री थे, तब बाजरे की एमएसपी पर खरीद की मांग कर रहे थे। सरकार में आने के बाद उन्होंने इसकी घोषणा भी की, लेकिन आज तक बाजरा खरीदा नहीं गया। उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा, मुख्यमंत्री जी, आप तो दिल्ली के मुख्यमंत्री की तरह अपने पुराने ट्वीट डिलीट कर दीजिए।

नेता प्रतिपक्ष ने विधानसभा में छात्रसंघ चुनाव बहाल करने की मांग उठाई। उन्होंने कहा कि वर्तमान विधानसभा में कई ऐसे नेता हैं, जिन्होंने छात्रसंघ की राजनीति से अपनी पहचान बनाई है। इसलिए, छात्रसंघ चुनाव करवाने की परंपरा जारी रहनी चाहिए।

जूली ने जल जीवन मिशन में अनियमितताओं की जांच की मांग की। उन्होंने कहा कि अगर पिछली सरकार के दौरान घोटाले हुए थे, तो वर्तमान सरकार जांच करवाने से क्यों बच रही है? उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि सरकार ने 25 लाख कनेक्शन देने का वादा किया था, लेकिन राज्यपाल के अभिभाषण में केवल 11 लाख घरों में पानी पहुंचाने का दावा किया गया। जबकि केंद्र सरकार की वेबसाइट पर यह संख्या 8.5 लाख दर्ज है।

जूली ने कहा कि कांग्रेस ने पहली बार एक दलित को नेता प्रतिपक्ष बनाया, जबकि बीजेपी का दावा था कि कांग्रेस दलितों को दबा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार बजट बहस से बचने की कोशिश कर रही थी और मंत्रियों ने मुख्यमंत्री को यही सुझाव दिया होगा कि इसे अनदेखा करना ही बेहतर रहेगा। उन्होंने यह भी कहा कि फोन टैपिंग मामले में गतिरोध तब पैदा हुआ जब किरोड़ी लाल मीणा ने आरोप लगाए। यदि गृह राज्य मंत्री उसी दिन जवाब दे देते, तो यह विवाद खड़ा नहीं होता।

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न्यूज़ एजेंसी/ ईश्वर


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