आयुर्वेद आजीविका  का साधन नहीं, ऋषि ऋण से उऋण होने का उपाय है : आचार्य बालकृष्ण

प्रशिक्षण में प्रतिभागी
पतंजलि में 6 दिवसीय प्रशिक्षण का समापन

हरिद्वार, 2 फरवरी (न्यूज़ एजेंसी)। आयुष मंत्रालय, राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यापीठ तथा पतंजलि के संयुक्त तत्वावधान में आयुर्वेद शिक्षकों तथा आयुर्वेद चिकित्सा छात्रों का 6 दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण ‘चरकायतन’ रविवार को पूर्ण हो गया।

समापन पर मुख्य अतिथि के रूप में पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि ‘चरकायतन’ का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों में चरक संहिता को सीखने व पढ़ाने का कौशल विकसित करना है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद के लिए काम कर रहे विद्वानों के लिए आयुर्वेद केवल आजीविका या जीवन निर्वहन का साधन नहीं है अपितु ऋषि ऋण से उऋण होने का उपाय है। आपके व्यवहार में, आचरण में, स्वभाव में आयुर्वेद दिखना चाहिए। स्वयं को वैद्य कहलाने में संकोच नहीं अपितु गौरव अनुभव होना चाहिए। एलोपैथ सिंथेटिक दवाओं व कैमिकल्स पर आश्रित है, इसमें बहुत से साधनों की आवश्यकता रहती है। जबकि आयुर्वेद पराश्रित नहीं है। इसमें जड़ी-बूटियाँ घोटकर, छाल, तना, पत्तियों का प्रयोग कर, काढ़ा बनाकर आप जीवन दे सकते हैं।

विख्यात आयुर्वेद चिकित्सक प्रो. एस.के. खण्डेल ने पतंजलि को पूरे विश्व में आयुर्वेद व योग का सबसे अग्रणी संस्थान बताया। उन्होंने कहा कि पतंजलि में आयुर्वेद को जीना सिखाया जा रहा है। आचार्य बालकृष्ण ने ग्रंथों की रचना कर आयुर्वेद को थाती बनाया है और विश्व में आयुर्वेद को नई पहचान दी है।

प्रशिक्षण कार्यक्रम में पद्म विभूषण वैद्य देवेंद्र त्रिगुणा, राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यापीठ गवर्निंग काउंसिल के सदस्य वैद्य राकेश शर्मा, वैद्य मोहन लाल जायसवाल, संतोष भट्टेड़ जी, पतंजलि अनुसंधान संस्थान के उपाध्यक्ष डॉ. अनुराग वार्ष्णेय, राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यापीठ की निर्देशिका डॉ. वंदना सिरोहा, आयुर्वेद शिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान जामनगर के वैद्य (प्रो.) हितेश व्यास, दीक्षित आयुर्वेद फोंडा गोवा के वैद्य (प्रो.) उपेंद्र दीक्षित, एवीएस आयुर्वेद महाविद्यालय, बीजापुर, कर्नाटक के वैद्य (प्रो.) संजय कडलिमट्टी, राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यापीठ के यंग प्रोफेशनल, डॉ. खुशबू पांडेय तथा डॉ. अनुराग सिंह व प्रोजेक्ट सलाहकार डॉ. लवनीत शर्मा जी ने प्रतिभागी विद्वानों व विद्यार्थियों का ज्ञानवर्धन किया।

कार्यक्रम के सफल आयोजन में पतंजलि विवि के प्रति-कुलपति डॉ. सत्येन्द्र मित्तल, पतंजलि आयुर्वेद कॉलेज के प्राचार्य प्रो. अनिल कुमार, उप-प्राचार्य प्रो. गिरिश के.जे., वैद्य प्रो. सुरेश चन्द्र जोशी, वैद्य विभु व वैद्या दीपा का विशेष योगदान रहा।

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न्यूज़ एजेंसी/ डॉ.रजनीकांत शुक्ला


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