आसाराम और नारायण साईं का मामला
जोधपुर की सेंट्रल जेल में यौन शोषण के आरोप में बंद आसाराम और उसके बेटे नारायण साईं, जो कि सूरत की लाजपोर जेल में रेप के आरोप में बंद हैं, के बीच मुलाकात को लेकर गुजरात हाईकोर्ट ने सुनवाई की। नारायण साईं ने अपने पिता आसाराम से मिलने के लिए कोर्ट में याचिका दायर की थी।
हाईकोर्ट का निर्णय
गुरुवार को हुई सुनवाई में हाईकोर्ट ने नारायण साईं को अपने पिता से मिलने की अनुमति देते हुए कुछ शर्तें लागू की हैं। नारायण के वकील ने अदालत में दलील दी कि आसाराम का स्वास्थ्य ठीक नहीं है और इसलिए वह उनसे मिलना चाहता है।
राज्य सरकार का विरोध
राज्य सरकार ने नारायण साईं की याचिका का विरोध किया। सरकार ने अदालत में कहा कि आसाराम के अनुयायियों की बड़ी संख्या है, और अगर वे इकट्ठा होते हैं, तो लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति बिगड़ सकती है।
अनुमति की शर्तें
- डिपॉजिट: हाईकोर्ट ने नारायण साईं को 10 लाख रुपये डिपॉजिट करने का निर्देश दिया है। सरकार ने कहा है कि यात्रा के दौरान उनके साथ पुलिस अधिकारी और कर्मचारी भी होंगे, जिनका खर्चा नारायण साईं को उठाना होगा।
- यात्रा का विवरण: कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया है कि यात्रा की योजना, जैसे कब और किस फ्लाइट से जाना है, यह सब सरकार को तय करना होगा ताकि कोई भीड़भाड़ न हो।
- समयसीमा: गुजरात हाईकोर्ट ने कहा है कि 7 दिनों के भीतर राशि सरकार के पास जमा कराई जाए। इसके बाद प्रक्रिया शुरू होगी।
आसाराम का मामला
आसाराम, जो कि 2013 से जोधपुर की सेंट्रल जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा है, पर एक लड़की ने आरोप लगाया था कि 15 अगस्त 2013 की रात को उसे जोधपुर के पास आश्रम में रेप का शिकार बनाया गया था। 2018 में, विशेष अदालत ने आसाराम को दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
नारायण साईं का मामला
दूसरी ओर, नारायण साईं पर 2013 में सूरत की दो बहनों से दुष्कर्म का आरोप है। दोनों बहनें साध्वी बनकर रह रही थीं और उन्होंने आरोप लगाया कि आसाराम और नारायण साईं ने उनके साथ दुष्कर्म किया है।
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