काठमांडू, 23 अक्टूबर (न्यूज़ एजेंसी)। नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी) को नए पार्टी कार्यालय के लिए एक विवादित व्यापारी से दान में जमीन लेने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस तिल प्रसाद श्रेष्ठ की अध्यक्षता वाली पीठ ने बुधवार को यह याचिका स्वीकार करके अदालत प्रशासन को रिट के पंजीकरण के साथ आगे बढ़ने का निर्देश दिया है।
प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के नेतृत्व वाली पार्टी के नए कार्यालय निर्माण के लिए नेपाल के सबसे बड़े डिपार्टमेंटल चेन स्टोर के मालिक मिन बहादुर गुरुंग ने दान की थी। सत्तारूढ़ दल एमाले को अदालत से विचाराधीन आरोपी के तरफ से दान लेने की पूरे देश में काफी आलोचना हो रही है। अधिवक्ता ज्ञान बहादुर बस्नेत ने सुप्रीम कोर्ट में रिट दायर करके याचिका में कहा है कि इस भूमि को स्वीकार करना और उसमें पार्टी कार्यालय स्थापित करना भ्रष्टाचार की श्रेणी में ही आएगा। जिस व्यक्ति पर ठगी एवं भ्रष्टाचार का मामला चल रहा हो और जो सुप्रीम कोर्ट से जमानत पर बाहर हो, उसकी तरफ से सत्तारूढ़ दल को जमीन दान में देना गैर कानूनी है।
सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार ने पहले इस रिट के पंजीकरण को ही खारिज कर दिया था। बाद में अधिवक्ता बस्नेत ने अपने याचिका के पंजीकरण को ही रद्द किए जाने के खिलाफ कोर्ट में गुहार लगाई। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस तिल प्रसाद श्रेष्ठ की अध्यक्षता वाली पीठ ने बुधवार को इस फैसले को पलट दिया और अदालत प्रशासन को रिट के पंजीकरण के साथ आगे बढ़ने का निर्देश दिया। इस निर्देश के बाद अदालत प्रशासन ने पुष्टि की है कि रिट को आज ही दर्ज कर ली गई है ।
प्रधानमंत्री ओली ने खुद ही पिछले हफ्ते अपनी पार्टी के केंद्रीय कार्यालय का भूमि पूजन किया था। उनके इस निर्णय का पार्टी के कई नेताओं ने सार्वजनिक रूप से विरोध किया है। इस तरह विरोध करने वाले पार्टी के तीन केंद्रीय सदस्यों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की प्रक्रिया आगे बढ़ाई गई है। सत्तारूढ़ के साझेदार दल नेपाली कांग्रेस ने भी ओली के इस कदम का विरोध करते हुए एमाले पार्टी से अपनी स्थिति स्पष्ट करने की मांग की है।
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न्यूज़ एजेंसी/ पंकज दास
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