पश्चिम बंगाल मेडिकल काउंसिल पर अवैध मानदेय भुगतान का आरोप

पश्चिम बंगाल मेडिकल काउंसिल

कोलकाता, 31 जनवरी (न्यूज़ एजेंसी)। पश्चिम बंगाल मेडिकल काउंसिल पर अवैध रूप से मानदेय भुगतान करने और जूनियर डॉक्टरों को निशाना बनाने के आरोप लगे हैं। यह विवाद उस समय सामने आया जब काउंसिल पर आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज में हुए बलात्कार और हत्या मामले को लेकर प्रदर्शन करने वाले कुछ जूनियर डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई करने का आरोप लगाया गया।

काउंसिल पर मुख्य आरोप 50 हजार के मासिक मानदेय को लेकर है, जो उसके तीन सदस्यों को दिया जा रहा है। जबकि बंगाल मेडिकल अधिनियम, 1994 में इस तरह के किसी भुगतान का प्रावधान नहीं है। इस अवैध भुगतान को लेकर चिकित्सा जगत में भारी असंतोष है।

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने गुरुवार को एक अन्य मामले में फैसला सुनाया, जिसमें काउंसिल के रजिस्ट्रार मानस चक्रवर्ती पर पद पर अनधिकृत रूप से बने रहने का आरोप है। उनका कार्यकाल नवंबर 2019 में समाप्त हो गया था, लेकिन वे अभी भी इस पद पर बने हुए हैं।

मुख्य न्यायाधीश टी.एस. शिवगणनम और न्यायमूर्ति हिरण्मय भट्टाचार्य की खंडपीठ ने गुरुवार को आदेश दिया कि चक्रवर्ती को शुक्रवार शाम पांच बजे तक पद छोड़ना होगा, अन्यथा उन्हें अदालत द्वारा हटाया जाएगा।

एक और गंभीर आरोप यह है कि मेडिकल काउंसिल ने एक ऐसे डॉक्टर को फिर से सदस्य बना दिया, जिसे आर.जी. कर बलात्कार और हत्या मामले के बाद धमकी संस्कृति को बढ़ावा देने के आरोप में पहले निलंबित कर दिया गया था।

काउंसिल के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि ये आरोप केवल मौखिक नहीं हैं, बल्कि अक्टूबर 2023 से राज्य स्वास्थ्य विभाग को भेजे गए आधिकारिक पत्रों में भी दर्ज किए गए हैं, जब पूरा राज्य इस जघन्य अपराध को लेकर आक्रोशित था।

हाल ही में, काउंसिल ने जूनियर डॉक्टर आंदोलन के प्रमुख चेहरों में से एक असफाकुल्ला नाइया को कारण बताओ नोटिस भेजा। उन पर आरोप लगाया गया कि वे बिना आवश्यक डिग्री के ईएनटी विशेषज्ञ के रूप में निजी प्रैक्टिस कर रहे थे। उनके खिलाफ पुलिस जांच भी शुरू हुई थी, लेकिन कलकत्ता हाईकोर्ट की एकल पीठ ने इस महीने की शुरुआत में उन्हें किसी भी सख्त पुलिस कार्रवाई से अंतरिम राहत दे दी।

इसके अलावा, काउंसिल ने आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज में पोस्ट ग्रेजुएट प्रशिक्षु और बंगाल के टेलीविजन व विज्ञापन जगत के लोकप्रिय चेहरे किंजल नंदा के खिलाफ भी जांच शुरू की। यह जांच इस बात को लेकर है कि वे जूनियर डॉक्टर के रूप में काम करते हुए अभिनय और विज्ञापन करियर कैसे जारी रख सकते हैं।

मेडिकल काउंसिल के इन विवादों पर अब तक उसके अध्यक्ष और तृणमूल कांग्रेस विधायक सुदीप्त रॉय ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।

न्यूज़ एजेंसी/ ओम पराशर


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