मप्रः स्ट्रॉबेरी की खेती से जनजातीय किसानों के जीवन में आई मिठास

स्ट्रॉबेरी की खेती

भोपाल, 11 दिसंबर (न्यूज़ एजेंसी)। मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले में जब पारम्परिक खेती से आगे बढ़ने की बात आई, तो जनजातीय किसानों ने एक नई दिशा में कदम रखा। जिले के प्रगतिशील किसान रमेश परमार और साथी अन्य किसानों ने अपनी हिम्मत, मेहनत और नवाचार से असंभव को संभव बना दिया है।

पारम्परिक खेती से उद्यानिकी की ओर

जनसम्पर्क अधिकारी जिनेन्द्रीय सगोरिया ने बुधवार को बताया कि जिले के जनजातीय बहुल क्षेत्र में पहली बार स्ट्रॉबेरी की खेती का प्रयोग शुरू हुआ। परम्परागत रूप से ज्वार, मक्का और अन्य सामान्य फसलों के लिए जाने जाने वाले इस इलाके में अब किसानों ने उद्यानिकी फसलों की ओर रुख किया है। जिले के रामा ब्लॉक के तीन गांवों भुराडाबरा, पालेड़ी और भंवरपिपलिया में आठ किसानों के खेतों में स्ट्रॉबेरी के पौधे लगाए गए।

उन्होंने बताया कि झाबुआ में स्ट्रॉबेरी सामान्यतः ठंडे इलाकों की फसल है, को यहां अनुकूलित परिस्थितियों में उगाने का प्रयोग किया गया। महाराष्ट्र के सतारा जिले से 5000 पौधे मंगवाकर हर किसान के खेत में 500 से 1000 पौधे लगाए गए। हर पौधे की कीमत मात्र 7 रुपये थी, लेकिन इसे उगाने की प्रक्रिया ने किसानों को बागवानी की उन्नत और आधुनिक तकनीकों से रूबरू कराया।

रोटला गांव के रमेश परमार ने अपने खेत में ड्रिप और मल्चिंग तकनीक का उपयोग कर 1000 स्ट्रॉबेरी पौधे लगाए। वे बताते हैं कि पहले बाजार में इन फलों को देखा था, लेकिन खरीदने की हिम्मत कभी नहीं हुई। अब जब खुद के खेत में उगाए, तो इसका स्वाद भी चखा और इसकी उच्च कीमत का महत्व भी समझा।

रमेश ने 8 अक्टूबर 2024 को पौधों की बुवाई की थी और केवल तीन महीनों में फलों की पैदावार शुरू हो गई। वर्तमान में बाजार में स्ट्रॉबेरी की कीमत 300 रुपये प्रति किलो है। फिलहाल उन्होंने अपनी पहली फसल घर के सदस्यों और रिश्तेदारों के साथ बांटी है।

समूह की सफलता

रमेश अकेले नहीं हैं। उनके साथ अन्य किसान भंवरपिपलिया के लक्ष्मण, भुराडाबरा के दीवान, और पालेड़ी के हरिराम ने भी अपनी जमीन पर स्ट्रॉबेरी उगाई है। सभी किसानों के पौधों में फल लगने शुरू हो गए हैं। ये किसान अपनी उपज को लोकल हाट-बाजार और हाईवे के किनारे बेचने की योजना बना रहे हैं।

नवाचार और आत्मनिर्भरता का प्रतीक

झाबुआ जिले की यह पहल न केवल कृषि नवाचार का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, बल्कि यह आत्मनिर्भर भारत की ओर एक ठोस कदम भी है। यह झाबुआ जिले के जनजातीय किसानों ने साबित किया है कि सही मार्गदर्शन, तकनीक और मेहनत से किसी भी क्षेत्र में अपार संभावनाएं पैदा की जा सकती हैं।

आर्थिक और सामाजिक बदलाव की ओर बढ़ रहे जनजातीय किसान

स्ट्रॉबेरी की खेती से न केवल इन किसानों की आमदनी बढ़ने की उम्मीद है, बल्कि यह दूसरों के लिए भी प्रेरणा बनेगी। यह पहल झाबुआ जिले के लिए उद्यानिकी खेती का एक नया अध्याय खोलेगी। झाबुआ के जनजातीय किसान सीमित संसाधनों के बावजूद बड़े बदलाव की ओर तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।

न्यूज़ एजेंसी/ मुकेश तोमर


Discover more from सत्यबोध इंडिया न्यूज़

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Leave a Reply

error: Content is protected !!
Briefly unavailable for scheduled maintenance. 7750 east nicholesds street waxhaw, st. Solution prime ltd.