नई दिल्ली, 21 दिसंबर (न्यूज़ एजेंसी)। दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने दिल्ली सरकार पर मजदूर विरोधी होने का आरोप लगाते हुए कहा कि आम आदमी पार्टी की सरकार कोर्ट के आदेशों की अवहेलना कर भवन निर्माण मजदूरों को आर्थिक सहायता उपलब्ध नहीं करवा रही है। कोर्ट ने दिल्ली में प्रदूषण बढ़ने पर ग्रेप-4 लागू होने के कारण बेरोजगार हुए लाखों श्रमिकों को तुरंत आर्थिक मदद के रूप में प्रत्येक पात्र श्रमिक को आठ हजार रुपये देने का आदेश दिल्ली सरकार को दिया था। लेकिन दिल्ली सरकार के असंवेदनशील रवैये के कारण लाखों मजदूरों के बच्चों को अन्न का निवाला तक उपलब्ध नहीं हो पा रहा है।
गुप्ता ने कहा कि प्रदूषण के मद्देनजर एक बार फिर से ग्रेप-4 का दूसरा चरण लागू हो गया है और निर्माण गतिविधियों पर रोक के कारण दिल्ली के 20 लाख मजदूर फिर से बेरोजगार हो गए हैं। उनके परिवारों पर रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है। गुप्ता ने कहा कि दिल्ली सरकार ने खुद पिछले दिनों ‘दिल्ली बिल्डिंग एंड अदर कंस्ट्रक्शन वर्कर्स वेलफेयर बोर्ड’ में पंजीकृत 90,759 श्रमिकों को 8000 रुपये की एकमुश्त आर्थिक सहायता देने का वादा किया था, लेकिन किसी भी मजदूर को 8 हजार रुपये नहीं मिले हैं।
गुप्ता ने हैरानी जताई कि सरकार इतनी असंवेदनशील कैसे हो सकती है। ये मजदूर अगर इतने ही पढ़े लिखे होते और अपने बैंक खातों को आधार से लिंक करना जानते तो वो मजदूरी नहीं कर रहे होते। सरकार को इनके प्रति उदारवादी नीति अपनाते हुए इन्हें आर्थिक सहायता दी जानी चाहिए और आगे के लिए अपना खाता आधार से लिंक करने के लिए उन्हें सलाह दी जानी चाहिए।
गुप्ता ने मांग की है कि इन सभी 11 लाख श्रमिकों को भी तुरंत आर्थिक सहायता देकर उनके रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू करवाई जानी चाहिए।
गुप्ता ने कहा कि 90,759 रजिस्टर्ड श्रमिकों के साथ-साथ उन श्रमिकों को भी आर्थिक सहायता दी जानी चाहिए, जिन्होंने जानकारी के अभाव में इस बोर्ड के अंतर्गत अपना रजिस्ट्रेशन नहीं करवाया है या फिर अपना बैंक खाता अपने आधार के साथ नहीं जुड़वाया है।
विजेंद्र गुप्ता ने हैरानी जताई कि अपने को गरीबों और वंचितों का मसीहा कहने वाली ‘आम आदमी पार्टी’ चुनाव के वक्त तो इन्हें अपना वोट बैंक मानकर इनके कल्याण के लिए बड़ी-बड़ी घोषणाएं कर देती है लेकिन सत्ता में आने के बाद उनकी तरफ मुड़कर भी नहीं देखती है। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में भी लाखों श्रमिक महीनों तक बेरोजगार रहे थे लेकिन दिल्ली सरकार ने केवल दो बार ही उन्हें वित्तीय मदद उपलब्ध करवाई जो कि उनके लिए बिल्कुल भी पर्याप्त नहीं थी। सरकार का यह रवैया उनकी ‘मजदूर विरोधी’ मानसिकता को उजागर करता है।
गुप्ता ने बताया कि कुछ दिन पहले ही उन्होंने मुख्यमंत्री आतिशी को पत्र लिखकर दिल्ली के 20 लाख श्रमिकों को आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाने की मांग की थी। इसके बावजूद सरकार ने अभी तक इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की और एक भी श्रमिक को आठ हजार रुपये की आर्थिक सहायता उपलब्ध नहीं करवाई है।
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न्यूज़ एजेंसी/ माधवी त्रिपाठी
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