
नई दिल्ली, 01 फरवरी (न्यूज़ एजेंसी)। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को संसद में केंद्रीय बजट 2025-26 पेश किया, जिसमें 50,65,345 करोड़ रुपये के व्यय की परिकल्पना की गई है। संसद में पेश बजट दस्तावेज के मुताबिक यह राशि चालू वित्त वर्ष के मुकाबले 7.4 फीसदी अधिक है। वित्त वर्ष 2024-25 के लिए व्यय (संशोधित अनुमान) 47.16 लाख करोड़ रुपये है। सीतारमण का ये रिकॉर्ड लगातार 8वां बजट है।
केंद्रीय बजट 2025-26 के मुताबिक सरकार का कुल खर्च 50.65 लाख करोड़ रुपये है, इसमें से 12.76 लाख करोड़ रुपये सरकार सिर्फ ब्याज के भुगतान में खर्च करेगी। यह 9 विभागों के संयुक्त बजट की कुल राशि के दोगुना से भी ज्यादा है।
बजट दस्तावेज के मुताबिक आइए जानते हैं कि किस-किस मद में खर्च होंगे 50,65,345 करोड़ रुपये।
कृषि और संबंधित गतिविधियां—1,714,37 करोड़ रुपये
साइंटिफिक डिपार्टमेंट—-55,679 करोड़ रुपये
विदेश मंत्रालय—-20,517 करोड़ रुपये
संसद में पेश बजट दस्तावेजों के मुताबिक एक अप्रैल, 2025 से शुरू होने वाले वित्त वर्ष 2025-26 में केंद्र प्रायोजित योजनाओं के लिए 5,41,850.21 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए हैं। इसकी तुलना में चालू वित्त वर्ष 2024-25 के लिए यह राशि 4,15,356.25 करोड़ रुपये है। केंद्रीय क्षेत्र की योजनाओं के लिए अगामी वित्त वर्ष 2025-26 के लिए 16.29 लाख करोड़ रुपये निर्धारित किए हैं, जबकि चालू वित्त वर्ष 2024-25 के लिए यह राशि 15.13 लाख करोड़ रुपये हैं।
बजट दस्तावेज बताते हैं कि परिवहन विभाग का बजट सबसे बड़ा है। रक्षा बजट दूसरे नंबर पर है। इन दोनों विभागों के बाद सबसे ज्यादा राशि सरकार सब्सिडी देने पर खर्च करती है। इसके बाद पेंशन, ग्रामीण विकास, गृह मंत्रालय, टैक्स एडमिनिस्ट्रेशन, कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य, शहरी विकास, आईटी एंड टेलीकॉम, ऊर्जा, वाणिज्य एवं उद्योग, वित्त, समाज कल्याण, साइंटिफिक डिपार्टमेंट्स, विदेश विभाग, पूर्वोत्तर के विकास और अन्य मद में खर्च किया जाता है।
9 विभागों का बजट 1.29 लाख करोड़ से 5.49 करोड़ रुपये के बीच
अगर पूरे बजट पर गौर करेंगे, तो 9 विभागों का बजट एक लाख करोड़ रुपये से अधिक है। इन विभागों का बजट 1,28,650 करोड़ रुपये से 5,48,649 करोड़ रुपये तक है। वहीं, 10 विभाग ऐसे भी हैं, जिनका बजट 1 लाख करोड़ रुपये से कम है। इन विभागों का बजट 5,915 करोड़ रुपये से 98,311 करोड़ रुपये के बीच है। इन 10 में से 9 विभागों के बजट के दोगुना से भी ज्यादा सरकार को ब्याज का भुगतान करना पड़ता है।
वित्त वर्ष 2025-26 के लिए व्यय के बजट अनुमानों में कई कारणों से वृद्धि हुई है, जिनमें बाजार लोन, राजकोषीय बिल, बाहरी ऋण, लघु बचत और भविष्य निधि पर ब्याज के भुगतान में वृद्धि शामिल हैं। इसके अलावा केंद्रीय बजट 2025-26 में पूंजीगत व्यय सहित सशस्त्र बलों की अधिक आवश्यकताओं और रोजगार सृजन योजना के लिए अधिक प्रावधान शामिल हैं।
वित्त मंत्री ने अगले वित्त वर्ष 2025-26 के लिए कुल पूंजीगत व्यय 11.22 लाख करोड़ रुपये और प्रभावी पूंजीगत व्यय 15.48 लाख करोड़ रुपये का प्रस्ताव रखा है। राज्यों को हस्तांतरित किए जा रहे कुल संसाधन 2025-26 के केंद्रीय बजट में 25,01,284 करोड़ रुपये किए हैं, जो कि वित्त वर्ष 2023-24 के वास्तविक आंकड़ों से 4,91,668 करोड़ रुपये अधिक है। इसमें राज्यों के हिस्से का हस्तांतरण, अनुदान एवं ऋण और केंद्र प्रायोजित योजनाओं के तहत जारी राशि शामिल हैं। इस तरह यदि सार्वजनिक उद्यमों के संसाधनों को शामिल किया जाए, तो बजट में कुल व्यय 54.97 लाख करोड़ रुपये हो जाता है।
केंद्रीय बजट 2025-26 अनुमान
-उधारियों के अलावा कुल प्राप्तियां और कुल व्यय क्रमश: 34.96 लाख करोड़ रुपये तथा 50.65 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है।
-निवल कर प्राप्तियां `28.37 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है।
-राजकोषीय घाटा जीडीपी का 4.4 फीसदी रहने का अनुमान है।
-सकल बाजार उधारियां 14.82 लाख करोड़ रहने का अनुमान है।
वित्त वर्ष 2025-26 में कैपेक्स व्यय 11.21 लाख करोड़ रुपये (जीडीपी का 3.1 फीसदी) रहने का अनुमान है।
हिन्दुस्थान समाचार / प्रजेश शंकर
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