नई दिल्ली, 14 अक्टूबर (न्यूज़ एजेंसी)। सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा में उप-राज्यपाल द्वारा 5 विधायकों को मनोनीत करने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि इस मामले की सुनवाई पहले जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट में की जानी चाहिए।
याचिकाकर्ता की दलील
याचिकाकर्ता रविंदर शर्मा की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने तर्क रखा कि उप-राज्यपाल द्वारा विधायकों का मनोनयन ऐसे समय में किया जा रहा है जब विधानसभा में चुनी हुई सरकार को गिराने का खतरा उत्पन्न हो सकता है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि उप-राज्यपाल के मनोनयन पर पहली सुनवाई हाई कोर्ट में होनी चाहिए।
जम्मू-कश्मीर विधानसभा का चुनाव
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर में हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनाव में नेशनल कांफ्रेंस, कांग्रेस और सीपीएम को मिलाकर कुल 49 सीटें मिली हैं। यह संख्या 90 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत से अधिक है, जो यह दर्शाता है कि यहां एक चुनी हुई सरकार की स्थिरता बनी रह सकती है।
राजनीतिक परिप्रेक्ष्य
इस स्थिति ने जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक चर्चाओं को भी जन्म दिया है, क्योंकि विधानसभा में चुनी हुई सरकार को कमजोर करने के प्रयास किए जा रहे हैं। उप-राज्यपाल के मनोनयन के मामले में सुप्रीम कोर्ट की असहमति यह संकेत देती है कि स्थानीय न्यायालय की भूमिका महत्वपूर्ण है।
आगे की संभावनाएं
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप से इनकार किया है, लेकिन यह देखना होगा कि हाई कोर्ट में इस याचिका पर क्या निर्णय लिया जाएगा। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि हाई कोर्ट इस मनोनयन को चुनौती देता है, तो यह जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक स्थिति को और अधिक जटिल बना सकता है।
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