संभल में वाटर लेबिल 100 फिट से ज्यादा, कूप में 20 फिट पर होता था पानी मुरादाबाद, 23 दिसम्बर (न्यूज़ एजेंसी)। उत्तर प्रदेश के संभल जनपद में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की चार सदस्यीय टीम का सर्वे कार्य जारी है। संभल में प्राचीन कूपों को खोजकर पुनर्जीवित करने की प्रशासनिक मुहिम के बीच सोमवार को संभल के प्राचीन नैमिषारण्य तीर्थ में एक और प्राचीन कूप सामने आया है, जिसमें करीब 20 फीट पर पानी मिला है। इससे पता चला है कि पुराने समय में इस कूप में 20 फिट नीचे ही पानी था। जबकि वर्तमान में संभल में वाटर लेबिल 100 फिट से ज्यादा है। टीम ने शुक्रवार और शनिवार को संभल में छह तीर्थ स्थलों और 19 कुओं का सर्वे किया था। रविवार को में चंदौसी तहसील के प्राचीन बावड़ी में आज सुबह फिर से खुदाई की, जिसमें प्राचीन बावड़ी मिली। संभल के 19 प्राचीन कूपों और 68 तीर्थों का वर्णन तमाम धर्मग्रंथों में मिलता है।
जिलाधिकारी राजेंद्र पैंसिया ने धर्मग्रंथों में वर्णिंत इन कूपों सहित तमाम प्राचीन कूपों को खोजकर उन्हें पुनर्जीवित कराने की मुहिम चला रखी है। संभल में 46 साल पुराने मंदिर मिलने के बाद जिलाधिकारी ने जांच के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को पत्र लिखकर जिले के प्राचीन तीर्थ स्थलों और कुओं का निरीक्षण कराने की मांग की थी। एएसआई की टीम ने भी संभल में कई तीर्थ व मंदिरों के साथ ही प्राचीन कूपों का सर्वे पिछले तीन दिन में किया है। संभल में वाटर लेबिल 100 फिट से ज्यादा गहरे में है लेकिन तीर्थ परिसरों में मिल रहे कूपों में 20 फिट नीचे ही पानी हुआ करता था। संभल निवासी 95 वर्षीय वृद्ध मंहत पंडित लाल किशोर शास्त्री ने बताया कि आजादी से पहले संभल में वाटर लेबल 20 से 25 फीट था। जैसे-जैसे आबादी बढ़ती गई वैसे-वैसे वाटर लेबिल कम हो गया। संभल के प्राचीन नैमिषारण्य तीर्थ पर जल प्रवाहित कूप मिलने की जानकारी पर तमाम श्रद्धालु कूप के दर्शन के लिए पहुंचे। वहीं महंत बाल योगी दीनानाथ ने कूप पर पूजा अर्चना कर प्रसाद वितरित किया। प्राचीन नैमिषारण्य तीर्थ के महंत बाल योगी दीनानाथ ने कहा कि इस तीर्थ पर बाबा क्षेमनाथ की कृपा से भक्तों का कल्याण होता है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार तीर्थ परिसर में जल से युक्त कूप मिलने की जानकारी जिलाधिकारी राजेंद्र पैंसिया को भी दे दी गई है।
न्यूज़ एजेंसी/ निमित कुमार जायसवाल
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