पार्थ चटर्जी मामले में आरोप तय करने में जटिलता, मानिक और कुंतल ने मांगी मुक्ति की नई याचिका

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कोलकाता, 23 दिसंबर (हि. स.)। पश्चिम बंगाल के बहुचर्चित शिक्षक भर्ती घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दायर मामले में आरोप तय करने की प्रक्रिया में जटिलता उत्पन्न हो गई है। आरोपित मानिक भट्टाचार्य और कुंतल घोष ने अदालत से मामले से ‘मुक्ति’ की नई याचिका दाखिल करने का निर्णय लिया है। इस वजह से आरोप तय करने की प्रक्रिया फिलहाल रुकी हुई है।

सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि इस मामले में सुनवाई जनवरी के तीसरे सप्ताह में शुरू होनी चाहिए, और फरवरी एक तक पार्थ चटर्जी की जमानत याचिका पर निर्णय होना चाहिए। हालांकि, आरोप तय करने की प्रक्रिया में नई याचिकाओं के कारण देरी होने की संभावना है।

सोमवार को कोलकाता के न्याय भवन में ईडी की आरोप तय करने की सुनवाई हुई। इस दौरान पार्थ चटर्जी, ‘कालीघाट के काकू’ उर्फ सुजयकृष्ण भद्र, अयन शील, संतु गांगुली, शांतनु बनर्जी, और अर्पिता मुखर्जी अदालत में उपस्थित थे। अर्पिता को हाल ही में जमानत मिली थी।

ईडी ने पहले से ही चार्जशीट और संबंधित दस्तावेजों को अदालत में पेश करने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी। आरोपितों को चार्जशीट की प्रतियां भी सौंपी जा रही थीं। यहां तक कि पार्थ चटर्जी के दामाद कल्याणमय भट्टाचार्य विदेश से लौटकर सुनवाई में शामिल हुए। हालांकि, कुंतल और अन्य आरोपितों द्वारा नई याचिका दायर करने की योजना ने इस प्रक्रिया को जटिल बना दिया।

इस मामले में मानिक और कुंतल के अलावा, मानिक की पत्नी और पुत्र ने भी ‘मुक्ति’ की मांग की है। इसके अलावा, एक रियल एस्टेट कंपनी के तीन कर्मचारी और दो अन्य व्यक्तियों ने भी अदालत से खुद को मामले से अलग करने की याचिका दायर करने की योजना बनाई है।

कुंतल घोष ने अदालत में दावा किया कि ईडी की प्रारंभिक चार्जशीट और हालिया चार्जशीट में विरोधाभास है। उन्होंने यह भी कहा कि 10 हजार पन्नों की चार्जशीट को पढ़ने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया गया। रियल एस्टेट कंपनी के प्रतिनिधियों ने भी यही तर्क दिया कि उनके पास दस्तावेज पढ़ने का पर्याप्त समय नहीं था और उनका इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है।

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ईडी की प्रक्रिया पर सवाल

आरोपितों के वकीलों ने ईडी की कार्यवाही पर सवाल उठाते हुए कहा कि एजेंसी ने अब तक सभी दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए हैं। इसके अलावा, कुछ कंपनियों की ओर से प्रतिनिधित्व करने वाले व्यक्तियों की पहचान भी स्पष्ट नहीं है।

तापस मंडल के वकील संजय दासगुप्ता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई जल्द शुरू करने का निर्देश दिया है, लेकिन ईडी ने अभी तक सभी दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए हैं। इससे चार्ज गठन की प्रक्रिया में देरी हो रही है।

न्यूज़ एजेंसी/ ओम पराशर


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