काठमांडू, 25 दिसंबर (न्यूज़ एजेंसी)। भारत और चीन के विशेष प्रतिनिधियों के बीच हाल ही में हुई सहमति के एक बिंदु को लेकर नेपाल में विरोध किया जा रहा है। भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की बीजिंग यात्रा के दौरान यह सहमति हुई थी।
पांच वर्षों के बाद भारत और चीन के विशेष प्रतिनिधियों के बीच बीजिंग में हुई बैठक के बाद दोनों पक्षों के तरफ से जारी संयुक्त वक्तव्य के एक बिंदु को लेकर नेपाल में विरोध किया जा रहा है। अजीत डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच हुई मुलाकात के बाद कुछ मुद्दों पर सहमति हुई थी, जिसको दोनों देशों के विदेश मंत्रालय के तरफ से सार्वजनिक किया गया था।
इस संयुक्त वक्तव्य में रहे 6 नंबर में मानसरोवर यात्रा को फिर से बहाल करने की बात कही गई है। कोविड के समय से ही चीन ने भारतीय नागरिकों को कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर रोक लगा दिया था। इस यात्रा को फिर से शुरू करने और भारतीय नागरिकों को अनुमति देने पर सहमति हुई है।
इसी सहमति पर नेपाल में विरोध हो रहा है। दरअसल नेपाल की मीडिया का दावा है कि भारत और चीन के बीच हुए इस सहमति में नेपाल के द्वारा दावा किए गए लिपुलेक भूमि होते हुए जाने पर सहमति हुई है। नेपाली मीडिया का कहना है कि नेपाली भूमि प्रयोग करने को लेकर नेपाल से ना तो चीन के तरफ से न ही नेपाल के तरफ से कोई चर्चा की गई।
अब नेपाली मीडिया नेपाल सरकार से मांग कर रही है कि इस मुद्दे पर भारत और चीन दोनों को डिप्लोमेटिक नोट भेज कर विरोध दर्ज करे। हिमाल खबर के संपादक कनक मणि दीक्षित ने इस खबर को लिखते हुए कहा है कि एक बार फिर भारत और चीन ने नेपाल के साथ दगाबाजी करते हुए बिना नेपाल की अनुमति के ही उसकी भूमि प्रयोग करने पर आपसी सहमति कर ली है।
रातोपाटी डॉट कॉम में यह खबर दिया गया है कि नेपाल द्वारा नक्शा पास कर दावा किए गए भूमि लिपुलेक के प्रयोग को लेकर भारत और चीन के बीच हुई सहमति से यह साबित हो गया है कि चीन भी भारत के साथ है। चीन पर नेपाल को भारत के विरुद्ध प्रयोग करने और अपनी जरूरत पूरा होने पर भारत के साथ मिलकर नेपाल को बाईपास करना पुरानी आदत है।
सत्तारूढ़ दल नेकपा एमाले निकट रहे नेपाल प्रेस डॉट कॉम के संपादक मातृका पौडेल ने लिखा है कि नेपाल अपने तरफ से जिस भूमि को अपना कहते हुए नक्शा प्रकाशित किया उस पर चीन ने भी नेपाल का साथ नहीं दिया। यह नेपाल के जख्म पर चीन द्वारा नमक छिड़कने जैसा है।
—————
न्यूज़ एजेंसी/ पंकज दास
Discover more from सत्यबोध इंडिया न्यूज़
Subscribe to get the latest posts sent to your email.