कोलकाता, 06 जनवरी (हि. स.)। ओडिशा के सिमलीपाल जंगल की बाघिन जीनत को बंगाल के वनकर्मियों ने नौं दिन की मेहनत के बाद पकड़कर सुरक्षित किया और फिर उसे वापस ओडिशा भेज दिया गया। लेकिन, इसके बाद ओडिशा सरकार की भूमिका पर बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कड़ी नाराजगी जताई है।
गंगासागर मेले के दौरान ममता बनर्जी ने अपने संबोधन में इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि बंगाल के वनकर्मियों ने दिन-रात मेहनत करके जीनत को सुरक्षित पकड़ा, लेकिन इसके बाद ओडिशा सरकार बार-बार फोन कर बाघिन को वापस मांगने लगी। उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर ओडिशा के जंगलों से बाघ बंगाल क्यों आ रहे हैं और वहां की वन विभाग की निगरानी पर भी प्रश्नचिह्न लगाया।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि ओडिशा सरकार को अपने जंगलों पर ध्यान देना चाहिए ताकि उनके बाघ बंगाल में न आएं और हमारे गांवों में दहशत न फैलाएं। अगर वे बाघ भेजना चाहते हैं, तो हमेशा के लिए भेजें। हमारे पास बाघों के लिए टाइगर रेस्क्यू सेंटर और घने जंगल हैं। हम उनकी देखभाल करेंगे।
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ग्रामीणों में दहशत और स्कूलों का बंद होना
बाघिन जीनत के बंगाल में प्रवेश करने से ग्रामीणों में डर का माहौल था। सुरक्षा कारणों से आसपास के स्कूलों को भी बंद करना पड़ा। जीनत ने झारखंड और बंगाल के जंगलों में कई दिनों तक जगह बदली। इसे पकड़ने के लिए बंगाल के वनकर्मियों ने लगातार प्रयास किया और अंततः बांकुड़ा जिले के गोसाईडिहि जंगल से उसे सुरक्षित पकड़ा गया।
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जंगलों में जीनत का सफर
ओडिशा के सिमलीपाल जंगल से भागकर जीनत ने झारखंड के जंगलों को पार किया और बंगाल के झाड़ग्राम, पुरुलिया, और बांकुड़ा जिलों में प्रवेश किया। यहां के कई जंगलों में उसने दिन बिताए और अंततः वन विभाग ने उसे पकड़ लिया।
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ओडिशा सरकार की भूमिका पर सवाल
ममता बनर्जी ने ओडिशा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि बंगाल के वनकर्मियों ने इतनी मेहनत करके बाघिन को सुरक्षित पकड़ा, लेकिन इसके बाद ओडिशा सरकार ने बार-बार फोन कर उसे वापस मांगा। उन्होंने कहा कि हर बार हमारे राज्य को दोष देना ठीक नहीं है। हमारे पांच जिलों के लोग इस अभियान की वजह से काफी परेशान हुए।
बंगाल सरकार का मॉडल अभियान
मुख्यमंत्री ने बंगाल के वन विभाग के प्रयासों को ‘मॉडल’ बताते हुए उनकी प्रशंसा की और कहा कि उन्होंने जीनत को किसी भी तरह से नुकसान पहुंचाए बिना सुरक्षित पकड़ा। उन्होंने कहा कि हम वन्यजीवों को सुरक्षित रखना जानते हैं, लेकिन हमें यह भी याद रखना होगा कि इंसानों की जान की कीमत भी होती है।
बाघिन जीनत को पकड़ने के बाद अलिपुर चिड़ियाघर में कुछ दिनों तक रखा गया और फिर ‘ग्रीन कॉरिडोर’ के माध्यम से उसे सिमलीपाल जंगल वापस भेजा गया।
न्यूज़ एजेंसी/ ओम पराशर
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