रामगढ़, 23 दिसंबर (न्यूज़ एजेंसी)। मानसिक स्वास्थ्य और बौद्धिक अक्षमताओं से पीड़ित व्यक्तियों को कानूनी सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से सोमवार को रामगढ़ व्यवहार न्यायालय परिसर में दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का समापन किया गया। इस कार्यशाला का आयोजन राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) और झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (झालसा) के निर्देश पर किया गया। शिविर का संचालन जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव अनिल कुमार और मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ सूरज गुप्ता ने किया। कार्यशाला के दौरान प्रतिभागियों को मानसिक स्वास्थ्य, बौद्धिक अक्षमता और इनसे संबंधित कानूनी अधिकारों पर विस्तार से जानकारी दी गई।
इस कार्यशाला का उद्देश्य मानसिक रोग से ग्रसित व्यक्तियों और बौद्धिक अक्षमताओं वाले व्यक्तियों के अधिकारों और उनके प्रति समाज व कानूनी जिम्मेदारियों के प्रति जागरूकता बढ़ाना था। प्रशिक्षण कार्यक्रम में स्थाई लोक अदालत के अध्यक्ष, डालसा पैनल के अधिवक्ता और अधिकार मित्रों (पैरा लीगल वॉलिंटियर्स) को शामिल किया गया।
जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव अनिल कुमार ने प्रतिभागियों को बताया कि मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम, 2017 के अंतर्गत मानसिक रूप से बीमार व्यक्तियों को किस प्रकार विधिक सहायता दी जा सकती है। उन्होंने यह भी समझाया कि ऐसे व्यक्तियों को न केवल कानूनी मदद दी जानी चाहिए, बल्कि समाज में उनके साथ मानवीय व्यवहार भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
मौके पर डॉ सूरज गुप्ता ने मानसिक बीमारियों की पहचान, उपचार और समाज में इनसे जुड़े भेदभाव के मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि मानसिक रूप से बीमार व्यक्तियों के लिए सहानुभूति और जागरूकता जरूरी है। ताकि उनकी समस्याओं को समझा जा सके और सही तरीके से उनका समाधान किया जा सके।
मानसिक रोग से पीड़ित व्यक्तियों के अधिकार और उनके प्रति समाज की जिम्मेदारी की जानकारी होना जरूरी है। बौद्धिक अक्षमता वाले व्यक्तियों को कानूनी और सामाजिक सहायता मिलती है। मानसिक रोगियों को मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान करने की प्रक्रिया है। ऐसे व्यक्तियों को उनके अधिकारों और सहायता सेवाओं के प्रति जागरूक करना जरूरी है। कार्यशाला में शामिल अधिवक्ताओं और पैरा लीगल वॉलिंटियर्स ने इसे एक महत्वपूर्ण और शिक्षाप्रद अनुभव बताया।
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न्यूज़ एजेंसी/ अमितेश प्रकाश
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