चित्तौड़गढ़, 26 अक्टूबर (न्यूज़ एजेंसी)। बॉलीवुड अभिनेत्री एवं सांसद कंगना रनौत ने साेशल मीडिशा प्लेटफार्म एक्स पर अपनी राजस्थान दाैरे की यादें साझा की हैं। उन्होंने लिखा है कि परिवार के साथ वे राजस्थान में छुटि्टयां बिता रही हैं। राजस्थान वीरों की धरती है, यहां आकर हमेशा अच्छा लगता है। कंगना ने चित्तौड़गढ़ के हल्दीघाटी स्थित म्यूजियम, चित्तौड़गढ़ फोर्ट, मीरा बाई मंदिर, पिछोली झील (उदयपुर) और श्रीनाथजी मंदिर (नाथद्वार, राजसमंद) की तस्वीरें साझा की हैं।
कंगना गुरुवार शाम कुछ देर के लिए चित्तौड़ फोर्ट पर पहुंची थी। इसके बाद को उन्होंने चित्तौड़ फोर्ट पर खिंचवाई और अपनी तस्वीर शेयर कर अनुभव साझा किया है। अपने लुक और ड्रेसअप के चलते एक्ट्रेस का फोटो काफी लाइक किया जा रहा है। कंगना से पहले भी कई फिल्म अभिनेता और अभिनेत्रियां चित्तौड़ दुर्ग भ्रमण पर आ चुकी है और फिल्मों की शूटिंग भी हुई है। लेकिन कंगना के एक्स पर फोटो शेयर करने के बाद बॉलीवुड इंडस्ट्रीज के अलावा कंगना की प्रशंसकों तक चित्तौड़ फोर्ट के फोटो पहुंचे हैं। कंगना ने बुधवार को उदयपुर में और गुरुवार शाम एक से दो घंटे के लिए चित्तौड़गढ़ आई थी। यहां चित्तौड़ दुर्ग पर कुंभामहल, विजय स्तम्भ, मीरा मंदिर, कुंभ श्याम मंदिर आदि स्थान देखे थे। इसके बाद उन्होंने फोटो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर शेयर किए हैं। इसमें कंगना फोटो क्लिक के दौरान काफी खुश नजर आ रही है।
कंगना ने पाेस्ट किया कि क्या आप जानते हैं कि मथुरा के कृष्ण राजस्थान के नाथद्वारा में क्यों रहते हैं? क्योंकि उन्होंने मीरा से वादा किया था कि वे उदयपुर आकर उनके साथ रहेंगे। ऐसा माना जाता है कि मुगलों के आक्रमण के समय कृष्ण ने मथुरा के मंदिर के पुजारियों से कहा था कि वे अब उदयपुर में रहेंगे और रातों-रात कृष्ण की प्रतिमा नाथद्वारा में स्थानांतरित कर दी गई और अब ठाकुर जी मीरा के राजस्थान में हैं। क्या आप तय कर सकते हैं कि मीरा कृष्ण से ज़्यादा प्यार करती हैं या कृष्ण मीरा से ज़्यादा प्यार करते हैं।
मीरा बाई के महल और उनके मंदिर की यात्रा पर कंगना ने लिखा कि अपनी कुलदेवी के मंदिर में दर्शन करने के बाद हम चित्तौड़गढ़ किले में गए और मीरा बाई के महल और उनके मंदिर का दौरा किया। महल प्रभावशाली था और मंदिर दिव्य था। मीरा बाई के मंदिर में भगवान कृष्ण की प्रतिमा की पूजा की जाती है और उनके पैरों में मीरा बाई की एक छोटी मूर्ति है। मैं वहां बैठकर ध्यान कर रही था जब मैंने अपनी आंखें खोलीं तो मैंने पाया कि कृष्ण की प्रतिमा की त्वचा पीली-गोरी है, न कि उनकी सामान्य काली त्वचा। बहुत नाजुक हड्डियां और और सीधे लंबे हल्के भूरे बाल। फिर मैंने मीरा बाई को देखा और महसूस किया कि वे दोनों एक ही हैं। उस मंदिर में शायद कृष्ण की पूजा मीरा के रूप में की जाती है। इस दृश्य ने मुझे इतना गहराई से प्रभावित किया कि मेरा चेहरा आंसुओं से भर गया। वह मीरा नहीं थी, वह कृष्ण थी। जब आप किसी में डूब जाते हैं तो आप नहीं होते, केवल वह होता है। —————
न्यूज़ एजेंसी/ अखिल
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