भारत और फ्रांस 26 राफेल समुद्री लड़ाकू विमानों का सौदा पूरा करने के करीब 

समुद्री लड़ाकू विमान  राफेल (फ़ाइल फोटो)

– प्रधानमंत्री मोदी के 10-11 फरवरी को फ्रांस दौरे पर सौदे की होगी घोषणा

– फ्रांसीसी राष्ट्रपति मैक्रों के अप्रैल में भारत दौरे पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद

नई दिल्ली, 04 फरवरी (न्यूज़ एजेंसी)। भारत और फ्रांस 26 राफेल समुद्री लड़ाकू विमानों के लिए 7 अरब यूरो का सौदा पूरा करने के करीब पहुंच गए हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 10-11 फरवरी को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) शिखर सम्मेलन की सह-अध्यक्षता करने के लिए फ्रांस जाएंगे। वह फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ द्विपक्षीय चर्चा भी करेंगे। इस दौरान दोनों पक्ष सौदे की घोषणा कर सकते हैं। इस साल अप्रैल में फ्रांसीसी रक्षा मंत्री सेबेस्टियन लेकॉर्नू की भारत यात्रा के दौरान इस सौदे पर हस्ताक्षर होने की संभावना है।

भारतीय नौसेना ने स्वदेशी विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रांत के लिए बोइंग एफ/ए-18 सुपर हॉर्नेट की जगह फ्रांसीसी राफेल मरीन को चुना है। भारत और फ़्रांस के बीच इस बारे में लम्बे समय से चल रही बातचीत पूरी हो चुकी है। पहले इस वित्तीय वर्ष में ही सौदे पर हस्ताक्षर करने की योजना थी, लेकिन संसद के बजट सत्र के कारण इसमें देरी हुई है। अब बजट सत्र के बीच प्रधानमंत्री मोदी 10-11 फरवरी को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) शिखर सम्मेलन की सह-अध्यक्षता करने के लिए फ्रांस जाएंगे। इस दौरान राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ वार्ता में सौदे की घोषणा होने की संभावना है। अप्रैल में फ्रांसीसी रक्षा मंत्री सेबेस्टियन लेकॉर्नू की भारत यात्रा पर सौदे पर हस्ताक्षर किए जाएंगे। फ्रांस को अनुबंध के तहत सौदे पर हस्ताक्षर करने की तिथि से 37 महीनों के भीतर पहला राफेल मरीन विमान देने की बाध्यता होगी।

भारतीय नौसेना के पास पहले से ही स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत और रूसी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य है। भारत के रक्षा खरीद बोर्ड (डीपीबी) ने पिछले साल सितम्बर में तीसरे विमान वाहक पोत के लिए नौसेना के प्रस्ताव पर चर्चा की।आईएनएस विक्रांत के अनुवर्ती 45 हजार टन को विस्थापित करने वाले तीसरे पोत की लागत 40 हजार करोड़ रुपये आंकी गई। डीपीबी की मंजूरी के बाद प्रस्ताव को अंतिम मंजूरी के लिए रक्षा अधिग्रहण परिषद में रखा जाना था, लेकिन अब सरकार ने तीसरे विमान वाहक पोत को मंजूरी देने के बजाय नौसेना को दो पोतों के आधार पर विमान अधिग्रहण योजना बनाने की सलाह दी है।

रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने बताया कि भारतीय नौसेना ने शुरू में तीन विमान वाहक पोत के आधार पर 145 विमानों की जरूरत बताकर सरकार के समक्ष प्रस्ताव रखा था, लेकिन अब भारत दो विमानवाहक पोतों के लिए 87 ट्विन इंजन डेक आधारित लड़ाकू विमान विकसित कर रहा है। इसके अलावा भारत ट्विन इंजन डेक बेस्ड फाइटर (टीईडीबीएफ) पर भी काम कर रहा है, जिसे सभी संबंधित मंत्रालयों से मंजूरी मिल चुकी है और अब राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय इसका अध्ययन कर रहा है। सरकारी स्तर पर रक्षा नीति नियोजकों की राय है कि भारतीय नौसेना को अभी फिलहाल दो विमान वाहक के आधार पर आवश्यकताओं को प्रोजेक्ट करना चाहिए।——————-

हिन्दुस्थान समाचार / सुनीत निगम


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