साहित्यकार भारती पाण्डे के खंड काव्य ‘मयतनया’ का लोकार्पण

दून पुस्तकालय में भारती पाण्डे के खंड काव्य 'मयतनया' का लोकार्पण करते हुए।

दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र में हुआ विमोचन समारोह

देहरादून, 24 नवंबर (न्यूज़ एजेंसी)। दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र में रविवार को साहित्यिक जगत के एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम का आयोजन हुआ, जिसमें सुप्रसिद्ध साहित्यकार भारती पाण्डे की नवीनतम कृति ‘मयतनया’ का लोकार्पण किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्कृत विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति डॉ. सुधा रानी पाण्डेय ने की, जबकि विधायक सविता कपूर, साहित्यकार डॉ. कमला पंत और कवियत्री बीना बेंजवाल अतिथि के रूप में उपस्थित रहीं।

साहित्यिक गरिमा, विमर्श और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के इस कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलन के साथ किया।

डीएवी विद्यालय की छात्राओं ने सरस्वती वंदना और स्वागत गीत प्रस्तुत किया। पुस्तकालय के प्रोग्राम एसोसिएट चंद्रशेखर तिवारी ने सभी आगंतुकों का स्वागत करते हुए कार्यक्रम का उद्देश्य स्पष्ट किया।

वक्ताओं ने ‘मयतनया’ की साहित्यिक महत्ता को रेखांकित किया। उन्होंने इसे हिंदी साहित्य में अपने आप में अनूठी कृति बताते हुए कहा कि यह खंड काव्य रावण की पत्नी मंदोदरी के जीवन पर आधारित है। यह कृति न केवल पौराणिक प्रसंगों और स्मृतियों को प्रस्तुत करती है, बल्कि स्त्री जीवन की सार्थकता, संघर्ष और अंतर्द्वंद को भी गहनता से उजागर करती है।

लेखिका भारती पाण्डे ने अपने वक्तव्य में बताया कि इस खंड काव्य के माध्यम से उन्होंने वैदिक युग से लेकर आधुनिक समय तक की नारियों के मनोविज्ञान और उनके संघर्षों को प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि यह कृति स्त्री जीवन की अदम्य शक्ति और संभावनाओं का प्रमाण है। डॉ. कमला पंत ने कहा कि मयतनया केवल पौराणिक कथा नहीं, बल्कि हमारे अंतरजगत का दर्पण है। संवाद शैली और मुक्तक छंद में रचा यह काव्य साहित्य जगत के लिए नई विधाओं का द्वार खोलता है।

संस्कृत विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति डॉ. सुधा रानी पाण्डेय ने मयतनया को एक अद्वितीय काव्य बताते हुए कहा कि यह रचना न केवल वैदिक युग की स्त्रियों की संवेदनाओं को उकेरती है, बल्कि वर्तमान काल की नारियों के संघर्ष और उनके योगदान को भी उजागर करती है। कार्यक्रम का संचालन कवयित्री बीना बेंजवाल ने किया, जिन्होंने अपनी सधी हुई शैली से सभी को प्रभावित किया। इस अवसर पर नंदकिशोर हटवाल, डॉ. देवेंद्र सिंह, गणनाथ मनोड़ी, डॉली डबराल, और सुंदर सिंह बिष्ट के साथ अनेक साहित्यकार, पत्रकार, शिक्षाविद और पाठक उपस्थित रहे।

लेखिका की प्रतिभा को सराहा गया

वक्ताओं ने पुस्तक की लेखक भारती पाण्डे की लेखन शैली और उनकी अद्वितीय दृष्टि की सराहना की। वक्ताओं ने ‘मयतनया’ स्त्री चेतना और सृजन की अनंत संभावनाओं का दर्पण बताया और इस खंड काव्य को साहित्य जगत में एक मील का पत्थर साबित होने की बात कही। यह समाज में स्त्री जीवन की सार्थकता के प्रति एक नई चेतना भी जागृत करेगा। कार्यक्रम के समापन पर लेखिका और अतिथियों को सम्मानित किया गया।

न्यूज़ एजेंसी/ कमलेश्वर शरण


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