-दिल्ली-अजमेर हाईवे पर टैंकर ब्लास्ट मामले में अब तक 13 मौतें
जयपुर, 22 दिसंबर (न्यूज़ एजेंसी)। दिल्ली-अजमेर हाईवे पर शुक्रवार को घटित दुर्घटना को लेकर जिला प्रशासन द्वारा सवाई मानसिंह अस्पताल में कैंप कार्यालय संचालित किया जा रहा है। दूसरी तरफ, दुर्घटना के घायलों एवं मृतकों के परिजनों के रात्रि विश्राम एवं भोजन की नि:शुल्क व्यवस्था की जा रही है। टैंकर ब्लास्ट मामले में अब तक 13 मौतें हो चुकी हैं। एफएसएल टीम ने डीएनए सैंपल जांचकर तीन शवों की पहचान कर ली है। एक शव रिटायर्ड आईएएस करणी सिंह राठौड़ का है। दूसरा शव मैनपुरी (उत्तर प्रदेश) के रहने वाले संजय और तीसरा कानपुर (यूपी) निवासी प्रदीप कुमार का है।
एफएसएल के पास अब एक शव के सैंपल हैं। इनके परिवार से किसी ने संपर्क नहीं किया है। इसलिए इसकी पहचान नहीं हो पाई है।
मामले में जिला प्रशासन संवेदनशीलता बरतते हुए दुर्घटना के पीड़ितों, घायलों के सर्वोत्तम उपचार एवं मृतकों के आश्रित परिजनों के साथ सभी जरूरतों के लिए आवश्यक इंतजाम सुनिश्चित करने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहा है। जिला प्रशासन द्वारा सवाई मानसिंह अस्पताल में कैंप कार्यालय संचालित किया जा रहा है। इस कैंप कार्यालय में 24 घंटे के दौरान तीन शिफ्टों में अधिकारियों एवं कर्मचारियों द्वारा सभी आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जा रही है।
कैंप कार्यालय की संपूर्ण प्रशासनिक व्यवस्थाओं के लिए उपखंड अधिकारी जयपुर दक्षिण अरुण शर्मा नोडल अधिकारी के रूप में अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहे हैं।
उच्च स्तर से प्राप्त निर्देशों की पालना में जिला प्रशासन द्वारा दिल्ली-अजमेर हाईवे पर शुक्रवार को घटित दुर्घटना के घायलों एवं मृतकों के परिजनों के रात्रि विश्राम एवं भोजन की नि:शुल्क व्यवस्था भी की गई है।
घायलों एवं मृतकों के परिजनों के रुकने, साेने एवं भोजन की गुणवत्ता पूर्ण व्यवस्था के लिए अतिरिक्त उपायुक्त जयपुर नगर निगम सीमा कुमार एवं जिला रसद अधिकारी त्रिलोकचंद मीणा को जिम्मेदारी सौंपी गई है।
उल्लेखनीय है कि बीस दिसंबर की सुबह भारत पेट्रोलियम का टैंकर अजमेर से जयपुर की तरफ आ रहा था। सुबह करीब 5:44 बजे दिल्ली पब्लिक स्कूल के सामने (भांकरोटा) टैंकर ने यू-टर्न लिया। इस दौरान जयपुर से अजमेर जा रहा ट्रक उससे भिड़ गया था।
गेल इंडिया लिमिटेड के डीजीएम (फायर एंड सेफ्टी) सुशांत कुमार सिंह ने अनुसार टक्कर से टैंकर के पांच नोजल टूट गए और 18 टन (180 क्विंटल) गैस लीक हो गई। इससे इतना जोरदार धमाका हुआ कि पूरा इलाका आग के गोले में तब्दील हो गया। जहां टैंकर में ब्लास्ट हुआ उससे करीब 200 मीटर दूर एलपीजी से भरा एक और टैंकर था। गनीमत रही कि उसने आग नहीं पकड़ी। टैंकर ब्लास्ट में चार लोग मौके पर ही जिंदा जल गए। जबकि नाै झुलसे लोगों की सवाई मानसिंह हॉस्पिटल में इलाज के दौरान मौत हो गई।
एक्सीडेंट में झुलसे 27 लोग अब भी हॉस्पिटल में एडमिट हैं। इनमें सात वेंटिलेटर पर हैं। इस हादसे में 25 लोग 75 फीसदी तक झुलसे हैं। प्रशासन ने इस हादसे में 14 लोगों की मौत में पांच अज्ञात शव होने का बात कही थी। वहीं, 31 गंभीर घायल होने का आंकड़ा पेश किया था। लेकिन जब पांच शवों के सैंपल डीएनए जांच के लिए भेजे गए तो पता चला कि यह चार लोगों के ही शव हैं। एक आदमी के धड़ और ऊपर वाला हिस्सा अलग हो गया था। वह दो बन गए थे।
एफएसएल निदेशक डॉ. अजय शर्मा ने बताया कि डीएनए जांच के लिए 25 वैज्ञानिकों की टीम लगाई गई। जिन्हाेंने 24 घंटे में मृतकों की पहचान कर ली। तीन शवों की पहचान कर ली है। एक शव रिटायर्ड आईएएस करणी सिंह राठौड़ का है। दूसरा शव मैनपुरी (उत्तर प्रदेश) के रहने वाले संजय और तीसरा कानपुर (यूपी) निवासी प्रदीप कुमार का है।
एफएसएल के पास अब एक शव के सैंपल हैं। इनके परिवार से किसी ने संपर्क नहीं किया है। इसलिए इसकी पहचान नहीं हो पाई है।
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न्यूज़ एजेंसी/ रोहित
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