जबलपुर : हाइकोर्ट बार एसोसिएशन हनुमान मंदिरों के पक्ष में, पुलिस थानों में बने मंदिरों का मामला  

हाइकोर्ट बार एसोसिएशन हनुमान मंदिरों के पक्ष में, पुलिस थानों में बने मंदिरों का मामला

जबलपुरए 11 दिसंबर (न्यूज़ एजेंसी)। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में बीते दिनों पुलिस थानों में बने मंदिरों के विरोध में लगाई गई याचिका में अब मध्य प्रदेश हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने हस्तक्षेप किया है। इस हस्तक्षेप के बाद मामले में नया मोड़ आने वाला है। बीते दिनों एक सरकारी कर्मचारी और अधिवक्ता ओम प्रकाश यादव ने कोर्ट में याचिका दाखिल कर सभी थाना परिसर में बन रहे मंदिरों पर रोक लगाने की मांग की गई थी। जिसके बाद मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 5 नवंबर को सभी थाना परिसरों में बन रहे मंदिरों के निर्माण पर रोक लगा दी थी। अब मध्य प्रदेश हाईकोर्ट बार एसोसिएशन इस मामले में हस्तक्षेप कर 12 दिसंबर को होने वाली सुनवाई में अपना पक्ष रखेगा।

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की ओर से अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने बुधवार को बताया कि अधिवक्ता समाज का आईना होते हैं और समाज को रिप्रेजेंट करने के साथ ही हमारी जवाबदारी बनती है कि हम समाज में होने वाले किसी भी अहित के खिलाफ खड़े हो। उपाध्याय ने कहा कि इस याचिका में सुप्रीम कोर्ट के जिस आदेश को आधार बनाया गया है, यह मामला उससे जुड़ा हुआ नहीं है। क्योंकि वह आदेश उन धार्मिक स्थलों के लिए जारी किया गया था, जो अतिक्रमण की श्रेणी में आते हैं। लेकिन जबलपुर हाईकोर्ट परिसर मे बने मंदिर सहित पुलिस थानों में जो मंदिर बने हैं उन्हें पुलिस ने खुद बनाया है, ना कि अतिक्रमणकारियों ने। बार एसोसिएशन का यह भी पक्ष है कि यदि मंदिरों को हटाने के लिए कोई आदेश जारी होता है। तो सामाजिक सौहार्द बिगड़ने और दंगे जैसी घटनाओं की भी संभावना है। जिसे रोकने के लिए बार एसोसिएशन ने याचिका में हस्तक्षेप किया है और याचिका को खारिज करने की मांग की जा रही है। हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के द्वारा इस याचिका को खारिज करने के लिए कोर्ट के समक्ष कई तथ्य रखे जाने हैं।

हस्तक्षेप आवेदन के अनुसार याचिकाकर्ता ने इसे पीआईएल के तहत दायर किया है परंतु PIL के नियम अनुसार जानकारी नहीं दी है। इसके साथ ही बार एसोसिएशन ने यह भी आरोप लगाया है की पीआईएल जनहित में लगाई जाती है परंतु इस याचिका के जरिए एक बड़े वर्ग का अहित हो सकता है और उनकी भावनाओं को ठेस पहुंच सकती है। आवेदन में यह भी आरोप हैं कि यह याचिका स्पॉन्सर्ड है। याचिकाकर्ता का मकसद जनहित नहीं है बल्कि धार्मिक सौहार्द को बिगाड़ना है। बार के अधिवक्ताओं ने इन मंदिरों को आस्था का विषय बताते हुए यह कहा कि इन मंदिरों पर किसी भी धर्म के लोगों को आपत्ति नहीं है और इस पर आगे किसी भी कार्यवाही को रोकने के लिए संगठन 12 दिसंबर को होने वाली अगली सुनवाई में हाईकोर्ट में पक्ष रखेगा।

—————

न्यूज़ एजेंसी/ विलोक पाठक


Discover more from सत्यबोध इंडिया न्यूज़

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Leave a Reply

error: Content is protected !!
Briefly unavailable for scheduled maintenance. Consectetur adipisicing eleiit sed do eiusmod tempount. Login – lady zara.