गुरुग्राम: आध्यात्मिकता से ही होती है सत्य-असत्य की पहचान: जस्टिस रंजन गोगोई 

फोटो नंबर-03: ओम शांति रिट्रीट सेंटर में आयोजित नेशनल ज्यूरिस्ट कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए राज्यसभा सांसद एवं भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश माननीय रंजन गोगोई व उपस्थित सदस्य।

-न्यायविदों के तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारम्भ -विश्व ध्यान दिवस के अवसर पर की गई विशेष ध्यान साधना

गुरुग्राम, 21 दिसंबर (न्यूज़ एजेंसी)। जस्टिस गोगोई ने कहा कि आध्यात्मिकता जीवन को उपयुक्त लक्ष्य प्रदान करती है। सत्य और असत्य की पहचान आध्यात्मिकता के द्वारा ही होती है। आध्यात्मिकता हमें दिव्य गुणों से भरती है। आध्यात्मिकता से ही प्रशासनिक व्यवस्थाओं में बेहतर सुधार लाया जा सकता है। ब्रह्माकुमारीज संस्था आध्यात्मिकता के द्वारा विश्व भर के लोगों को प्रेरित कर रही है। यह बात राज्यसभा सांसद एवं भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने ब्रह्माकुमारीज के ओम शांति रिट्रीट सेंटर में न्यायविदों के लिए आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि कही।

स्वस्थ एवं न्याययुक्त समाज के लिए आध्यात्मिक शक्ति विषय पर उन्होंने कहा कि आध्यात्मिक शक्ति के कारण ही ब्रह्माकुमारीज संस्था सिंध के एक छोटे से स्थान से आज विश्व के अनेक देशों में व्यापक हो गई। संस्था के ज्यूरिस्ट विंग के उपाध्यक्ष एवं मध्य प्रदेश, उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश माननीय बी.डी.राठी ने प्रभाग द्वारा की जा रही सेवाओं के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि राजयोग के माध्यम से हम स्वस्थ एवं न्याय सम्मत समाज का निर्माण कर सकते हैं। ओआरसी की निदेशिका राजयोगिनी आशा दीदी ने संस्था के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि किसी न किसी प्रकार से नियमों के उल्लंघन करने से ही स्वास्थ्य पर भी उनका असर पड़ता है। उन्होंने कहा कि आध्यात्मिकता चुनौतियों का सामना करने की शक्ति प्रदान करती है। प्रकृति के नियमों के साथ खिलवाड़ ही बीमारियों को आह्वान करना है।

संस्था के प्रमुख महासचिव राजयोगी बीके बृजमोहन ने माउंट आबू से वीडियो कॉन्फ्रेंस के द्वारा सभा को सम्बोधित किया। उन्होंने कहा कि दु:ख-अशांति का मूल कारण काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार जैसे मनोविकार हैं। आध्यात्मिक चेतना के द्वारा ही इन मनोविकारों पर विजय पाई जा सकती है।

ज्यूरिस्ट विंग की अध्यक्षा राजयोगिनी बीके पुष्पा दीदी ने कहा कि एक समय ऐसा भी था, जब भारत में सभी लोग मर्यादित थे। जिसको ही हम स्वर्ग कहते हैं। वहां किसी भी प्रकार के दंड की आवश्यकता नहीं पड़ती थी। आज की स्थिति का मूल कारण ही अमर्यादित समाज है। जिस कारण मूल्यों का ह्रास हो चुका है। न्याय भी समाज की व्यवस्था बनाने में मदद करता है। लेकिन न्याय व्यवस्था के बावजूद भी समस्याएं बढ़ती ही जा रही हैं। इसलिए आध्यात्मिकता ही सही मार्ग दर्शन कर सकती है। ज्यूरिस्ट विंग की राष्ट्रीय संयोजिका एडवोकेट बीके लता ने राजयोग का अभ्यास कराया। कार्यक्रम में सीएजी के उप नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक जयंत सिंहा, आरसीटी के ज्यूडिशियल मेंबर उमेश शर्मा एवं दिल्ली एनसीटी के प्रशासक जनरल एवं आधिकारिक ट्रस्टी सुमित जिड़ानी ने भी अपने विचार व्यक्त किए। बीके राजेंद्र ने अपने शब्दों से कार्यक्रम में पधारे सभी मेहमानों का स्वागत किया।

न्यूज़ एजेंसी/ ईश्वर हरियाणा


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