मैनपुरी, 18/10/2024 (न्यूज़ एजेंसी) – मैनपुरी में एक 11 वर्षीय बच्ची की मौत ने अंधविश्वास की गंभीरता को उजागर किया है। थाना औंछा क्षेत्र के गांव अकबरपुर में गुनगुन, जो सूरतराम की पुत्री थी, पिछले कुछ दिनों से बुखार और दानों से परेशान थी। इसके बावजूद उसके परिजनों ने झाड़फूंक के भरोसे रहकर उसका उपचार नहीं कराया। जब तक वे उसे अस्पताल ले गए, तब तक बहुत देर हो चुकी थी, और डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
स्वास्थ्य विभाग की कोशिशें
चिकनपॉक्स और खसरा जैसी बीमारियों से बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग समय-समय पर टीकाकरण करता है और जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित करता है। गांवों में आशा और एएनएम की तैनाती की गई है ताकि लोगों को सही जानकारी मिल सके। लेकिन इसके बावजूद, लोग अंधविश्वास को नहीं छोड़ पा रहे हैं।
गुनगुन की कहानी
गुनगुन के शरीर पर दाने निकलने और बुखार आने पर उसके परिजनों ने इसे छोटी माता का असर मान लिया। इस गलत धारणा के चलते उन्होंने उसका इलाज कराने के बजाय झाड़फूंक पर भरोसा किया। गुनगुन का स्वास्थ्य deteriorating होते रहा, और जब उसका शरीर ऐंठने लगा, तब उसके परिजन उसे जिला अस्पताल ले गए।
परिवार का बयान
गुनगुन के परिजनों ने बताया कि उन्होंने कभी भी छोटी माता की दिक्कत में चिकित्सकीय उपचार नहीं कराया। उनका मानना था कि इस स्थिति में कोई चिकित्सा नहीं होती। यह एक चिंताजनक उदाहरण है कि कैसे अंधविश्वास लोगों के जीवन को प्रभावित कर रहा है और कैसे यह समय पर चिकित्सा सहायता को रोकता है।
जागरूकता की आवश्यकता
इस दुखद घटना ने स्वास्थ्य विभाग और स्थानीय प्रशासन को एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि वे कैसे लोगों को जागरूक कर सकते हैं। अंधविश्वास को खत्म करने के लिए और अधिक प्रयास किए जाने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
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