गोवर्धन के साथ भगवान श्री कृष्ण की विधि विधान से की गई पूजा अर्चना

तिरछी लकड़ी के आंसुओं और मंदिरों

-गोवर्धन का पर्व भारतीय संस्कृति में सनातन धर्मियों के लिए महत्वपूर्ण-ब्रह्मस्वरुप‌ ब्रह्मचारी

ऋषिकेश, 02 नवंबर (न्यूज़ एजेंसी)। तीर्थ नगरी के सभी आश्रमों, मंदिरों में भगवान श्री कृष्ण की विधि विधान से छप्पन प्रकार के भोग अर्पितकर ‌गोवर्धन की विधि विधान से पूजा अर्चना की गई। मंगलवार की सुबह से ही मंदिरों में गोवर्धन की पूजा अर्चना का सिलसिला भजन कीर्तन के साथ प्रारंभ हो गया था। पंडित मायाराम शास्त्री की देखरेख में गोवर्धन के साथ भगवान श्री कृष्ण की विधि विधान से पूजा अर्चना की गई।

श्री जय राम आश्रम के पीठाधीश्वर ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी ने इस अवसर पर उपस्थिति को संबोधित करते हुए कहा कि गोवर्धन का पर्व एकता और सद्भावना का पर्व के साथ ‌भारतीय संस्कृति में सनातन धर्मियों के लिए महत्वपूर्ण है, जो कि भगवान इंद्र के घमंड को तोड़ने के लिए मनाया जाता है।

उन्होंने कहा कि इस पर्व के पीछे भगवान इंद्र द्वारा घनघोर वर्षा कर प्रजा के सामने संकट उत्पन्न कर देने ‌के‌ बाद भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें बचाए जाने के लिए उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर उसके नीचे उनकी रक्षा किए जाने का संकल्प लिया, जिसके कारण इंद्र भगवान परेशान हो गए और उन्होंने अपनी जिद को छोड़ दिया, जिससे उनका घमंड भी टूट गया। इस प्रकार भगवान श्री कृष्ण ने इंद्र का घमंड भी चूर कर दिया था, जिसमें एक संदेश छिपा था कि कभी भी अपने ऊपर इंसान को घमंड नहीं करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि यहां पर गायों‌‌ की रक्षा एवं ‌ संवर्धन का संदेश भी देता है।

शीशम झाडी स्थित ईश्वर आश्रम में महामंडलेश्वर ईश्वर दास, मायाकुंड स्थित उत्तराखंड पीठाधीश्वर स्वामी कृष्णाचार्य, जनार्दन आश्रम में केशव स्वरूप ब्रह्मचारी, माया कुंड स्थित प्राचीन हनुमान मंदिर के हनुमंत पीठाधीश्वर डॉ. रामेश्वर दास के संचालन में गोवर्धन की पूजा अर्चना की गई। इस अवसर पर महामण्लेश्वर हरिचेतनानंद, हर्षवर्धन शर्मा, अशोक अग्रवाल, प्रदीप शर्मा, विनोद अग्रवाल, सहित काफी संख्या में लोग मौजूद थे।

न्यूज़ एजेंसी/ विक्रम सिंह


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