लखनऊ, 12 दिसंबर (न्यूज़ एजेंसी)। वक्फ कानून में संशोधन और मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्ति के लिए विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) देश के सभी दलों के सांसदों से सम्पर्क कर रही है। सम्पर्क के दौरान विहिप के पदाधिकारी सांसदों को वक्फ कानून,मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्ति व संगठन की उपलब्धियों का पत्रक सौंप रहे हैं। सांसद सम्पर्क अभियान तीन चरणोें में सम्पन्न होगा। यह जानकारी विश्व हिन्दू परिषद केन्द्रीय विशेष सम्पर्क प्रमुख अम्बरीश ने दी।
अम्बरीश ने हिन्दुस्थान समाचार को बताया कि सांसद सम्पर्क अभियान 20 दिसम्बर तक तीन चरणों में चलेगा। प्रथम चरण में दक्षिण भारत के राज्यों जिसमें कर्नाटक,केरल,तमिलनाडु आंध्रप्रदेश,तेलंगाना,उड़ीसा,पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र के लोकसभा और राज्यसभा सदस्यों से सम्पर्क हो चुका है। इस समय दूसरे चरण के सम्पर्क अभियान में मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़,गुजरात,राजस्थान,दिल्ली,हरियाणा पंजाब,हिमाचलप्रदेश और जम्मू कश्मीर के सांसदों से सम्पर्क विहिप के कार्यकर्ता कर रहे हैं।
अम्बरीश ने बताया कि सम्पर्क कार्यक्रम का तीसरा और अंतिम चरण आगामी 16 दिसम्बर से 20 दिसम्बर तक चलेगा। अंतिम चरण में उत्तर प्रदेश,उत्तराखण्ड,बिहार और असम समेत पूर्वोत्तर के सभी राज्यों के सांसदों से सम्पर्क की योजना बनी है। विभिन्न प्रान्तों के सांसदों से सम्पर्क उस प्रदेश के विहिप पदाधिकारी दिल्ली पहुंचकर कर रहे हैं।
अम्बरीश ने कहा कि विहिप के कार्यकर्ता सभी दलों के सांसदों से सम्पर्क कर रहे हैं। अब तक 260 सांसदों से सम्पर्क हो चुका है। इस दौरान वक्फ कानून संशोधन और मंदिरों को स्वायत्तता देने के लिए विहिप द्वारा तैयार किये गये प्रारूप की प्रति सौंप रहे हैं।
अम्बरीश ने हिन्दुस्थान समाचार से कहा कि सम्पर्क के दौरान वक्फ संशोधन विधेयक 2024 का समर्थन करने की अपील सांसदों से की जा रही है। उन्होंने कहा कि हिन्दू मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने का यह उत्तम समय है। मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने के लिए कानून बनाया जाना चाहिए। मंदिरों का संचालन हिन्दू समाज ही करेगा और मंदिर प्रबंधन में महिलाओं,अनुसूचित जाति और जनजातियों का भी प्रतिनिधित्व होना चाहिए। इसके अलावा हिन्दू हितों के लिए केन्द्रीय निधि भी बननी चाहिए। इस निधि का उपयोग मंदिरों के जीर्णोद्धार,सनातन धर्म का प्रचार व सेवा कार्यों के लिए किया जायेगा।
हिन्दुस्थान समाचार / बृजनंदन
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