पश्चिम बंगाल में फर्जी पासपोर्ट रैकेट : पुलिस की लापरवाही पर बढ़ा दबाव

भारतीय पासपोर्ट

कोलकाता, 27 दिसंबर (हि. स.)। पश्चिम बंगाल में फर्जी भारतीय पासपोर्ट रैकेट के खुलासे के बाद कोलकाता पुलिस समेत पूरे राज्य की पुलिस पर सवाल उठने लगे हैं। पासपोर्ट जारी करने से पहले होने वाले सत्यापन प्रक्रिया में पुलिस अधिकारियों की भूमिका पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं।

आरोप है कि कई पुलिस अधिकारी पासपोर्ट सत्यापन के लिए आवेदकों के घर जाने के बजाय उन्हें थाने बुलाकर औपचारिकता पूरी कर रहे थे। यह प्रक्रिया नियमों के खिलाफ है। इस मामले ने तब और तूल पकड़ा जब एक स्थानीय अदालत ने संबंधित पुलिस स्टेशनों के अधिकारियों की जांच के आदेश दिए, जो उन आवेदकों का सत्यापन करने के लिए जिम्मेदार थे, जिन्होंने फर्जी पहचान के आधार पर पासपोर्ट हासिल किया।

———-

फर्जी पासपोर्ट रैकेट में गिरफ्तारियां

पिछले 12 दिनों में फर्जी पासपोर्ट तैयार करने और उन्हें अवैध बांग्लादेशी निवासियों को उपलब्ध कराने के आरोप में छह लोगों को गिरफ्तार किया गया है। बरामद दस्तावेजों से यह पता चला है कि इस रैकेट से और भी कई लोग लाभान्वित हुए हैं।

मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने इस मामले में पुलिसकर्मियों की जवाबदेही तय करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सत्यापन प्रक्रिया की निष्पक्षता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करना अत्यंत आवश्यक है। जांच अधिकारियों को यह जांच करने के निर्देश दिए गए हैं कि क्या पुलिस अधिकारियों की लापरवाही या मिलीभगत के कारण फर्जी पासपोर्ट जारी किए गए।

———–

सिस्टम की विफलता की ओर इशारा

निर्धारित नियमों के अनुसार, सत्यापन के लिए अधिकारियों को आवेदकों के निवास पर जाकर उनकी पहचान और पते की पुष्टि करनी चाहिए। लेकिन बार-बार ऐसी शिकायतें आई हैं कि इस प्रक्रिया का पालन नहीं किया जा रहा, जिससे सिस्टम की खामियां उजागर हो रही हैं।

इस रैकेट के खुलासे और गिरफ्तारियों से न केवल फर्जी पासपोर्ट तैयार करने वाले गिरोह का पर्दाफाश होने की उम्मीद है, बल्कि पुलिस सत्यापन प्रणाली में मौजूद खामियों पर भी रोशनी डालेगी।

न्यूज़ एजेंसी/ ओम पराशर


Discover more from सत्यबोध इंडिया न्यूज़

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Leave a Reply

error: Content is protected !!