राष्ट्रीय बालरंग में शामिल बच्चे अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर दूसरे बच्‍चों के लिये बनेंगे प्रेरणा स्त्रोत : डॉ. संजय गोयल 

स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव डॉ. संजय गोयल ने राष्ट्रीय बालरंग को किया संबोधित

– राष्ट्रीय बाल रंग कार्यक्रम में दिखी ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ की झलक

– 22 राज्यों की लोक संस्कृति पर केन्द्रित नृत्यों की हुई शानदार प्रस्तुतियां

भोपाल, 21 दिसम्बर (न्यूज़ एजेंसी) । राष्ट्रीय बाल रंग के दूसरे दिन शनिवार को राजधानी भोपाल के श्यामला हिल्स स्थित राष्ट्रीय मानव संग्रहालय में 22 राज्यों की लोक संस्कृति पर केन्द्रित नृत्यों की शानदार प्रस्तुतियां देशभर के बच्चों ने दी। इन प्रस्तुतियों में ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ की झलक देखने को मिली। बाल रंग में विभिन्न राज्यों के 10 हजार बच्चें अनेक रचनात्मक गतिविधियों में सहभागिता कर रहे हैं।

लोक नृत्य बच्चों को एक-दूसरे से जुड़ने का बेहतर माध्यम

बाल रंग के दूसरे दिन स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव डॉ. संजय गोयल बच्चों के बीच पहुंचे। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय बालरंग कार्यक्रम मध्यप्रदेश का महत्वपूर्ण कार्यक्रम है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में बच्चों को पढ़ाई के साथ विभिन्न गतिविधियों से सक्रिय रूप से जोड़ने की अनुशंसा की गई है। बाल रंग में शामिल बच्चे अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर दूसरे बच्चों के लिये प्रेरणा स्त्रोत बनेंगे। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय मानव संग्रहालय की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान है। बच्चों को संग्रहालय का भ्रमण भी करवाया जाये। सचिव स्कूल शिक्षा डॉ. गोयल ने इस मौके पर प्रकाशित बाल पत्रिका का विमोचन भी किया।

लोक नृत्य की प्रस्तुतियां

कार्यक्रम की शुरूआत में पंजाब के बच्चों ने लोक संस्कृति पर केन्द्रित नृत्य की प्रस्तुति दी। इस प्रस्तुति में पंजाब की विरासत का बखान था। मध्यप्रदेश के बच्चों ने महाकौशल अंचल के लांगुरिया लोक नृत्य की प्रस्तुति दी। इसमें ईश्वर की आराधना आस्था के साथ किस तरह से होती है। उसको आकर्षक तरीके से प्रस्तुत किया गया था। कार्यक्रम में मानव संग्रहालय के निदेशक प्रो. अमिताभ पांडे और विभागीय अधिकारी भी मौजूद थे।

विकसित भारत प्रदर्शनी

बाल रंग में लगाई गई प्रदर्शनी में राजस्थान के स्टॉल में हवा महल, जन्तर-मन्तर, राज्य के परंपरागत वेश-भूषा और वर्ष 2047 में विकसित राजस्थान की कल्पना को मॉडल के जरिये दर्शाया गया। गोवा राज्य के स्टॉल में वहां की संस्कृति, त्यौहार, मछली पालन व्यवसाय और पर्यटन के क्षेत्र में लगातार हो रहे विकास को दर्शाया गया था। इन स्टॉलों में भोपाल के स्कूलों के बच्चों ने मेहनत से मॉडल तैयार किये है। बाल रंग में बच्चों को देश और दुनिया में विज्ञान के क्षेत्र में हो रही प्रगति से प्रदर्शनी के माध्यम से अवगत कराया गया। कार्यक्रम की शुरूआत में बच्चों ने अपने राज्यों की पट्टिका को लेकर मार्च पास्ट भी किया। बाल रंग के अंतिम दिन 22 दिसम्बर रविवार को प्रात: 10 बजे से गतिविधियों शुरू होंगी और बच्चों को पुरस्कार वितरित किये जायेंगे। कार्यक्रम स्थल में बच्चों का प्रवेश निशुल्क रखा गया है। बच्चों को अपनी शाला के गणवेश के साथ आना होगा।

न्यूज़ एजेंसी/ उम्मेद सिंह रावत


Discover more from सत्यबोध इंडिया न्यूज़

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Leave a Reply

error: Content is protected !!
A tasty treat for any time of the day. Emdocs privacy policy. กิจกรรม ap789 บาคาร่า พารวย~เงื่อนไข~คุณไม่อยากได้เราก็จะให้แทง.