कोटा, 11 दिसंबर (न्यूज़ एजेंसी)। राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में चार बडे़ थर्मल, गैस एवं हाईडल बिजलीघरों को वर्षों से सफलतापूर्वक संचालित कर रहे राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड को एनटीपीसी एवं कोल इंडिया जैसे केंद्रीय उपक्रमों को सौंपने के निर्णय से बिजलीघरो में कार्यरत अभियंताओं, कर्मचारियों एवं ठेका श्रमिकों में गहरा आक्रोश है। संयुक्त मोर्चा के संयोजक राकेश गुप्ता ने बताया कि बिजलीघरों में राजस्थान इंजीनियर्स एसोसिएशन, भारतीय मजदूर संघ, इंटक, राजस्थान विद्युत उत्पादन कर्मचारी संघ के पदाधिकारियों ने एक बैठक में संयुक्त मोर्चा गठित कर राज्य सरकार के इस निर्णय के खिलाफ जनआंदोलन करने का निर्णय लिया है। जिसके पहले चरण में कोटा थर्मल, कालीसिंध थर्मल, छबडा थर्मल व सूरतगढ थर्मल में गत 51 दिनों से अभियंताओं एवं कर्मचारियों ने रोज शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करते हुये मुख्यमंत्री एवं उर्जा मंत्री को ज्ञापन भेजा। मोर्चा के प्रतिनिधिमंडल ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, उर्जा मंत्री हीरालाल नागर व पूर्व मंत्री विधायक शांति धारीवाल से भेंट कर जेवी के निर्णय पर जनहित में पुनर्विचार करने का आग्रह किया है।
नये उद्योग नहीं, छंटनी के बादल मंडराये-
विरोध प्रदेशन के दूसरे चरण में बुधवार को कोटा थर्मल के बाहर महिला अभियंता एक दिवसीय धरने पर बैठी। संयुक्त मोर्चा के सह संयोजक ललित कुमावत, रामसिंह शेखावत, रवि गौतम, मोहम्मद रफीक, सनत शेपका, वीरेंद्र कश्यप ने बताया कि सरकार के इस दुर्भाग्यपूर्ण निर्णय से थर्मल बिजलीघरों से सस्ती दरों पर मिल रही बिजली की दरें बढेंगी, जिसका सीधा भार आम जनता पर पडेगा। साथ ही, केंद्रीय उपक्रम अभियंताओं व कार्मिकों की विद्युत निगम में हुई नियुक्ति की सेवा शर्तां में बदलाव कर छंटनी जैसे कदम उठा सकती है। इससे प्रदेश में युवाओं के रोजगार के अवसर और घट जायेंगे।
मोर्चा के प्रवक्ता महेश चंद डागुर ने कहा कि सभी बिजलीघरों में कार्यरत अभियंता, तकनीकी कार्मिक एवं ठेका श्रमिक यूनिटों से नियमित विद्युत उत्पादन करते हुये निर्णय के विरूद्ध चरणबद्ध आंदोलन कर रहे हैं। सोमवार से संयुक्त मोर्चा द्वारा ज्वाइंट वेंचर (जेवी) के खिलाफ कोटा थर्मल के बाहर धरना प्रारंभ कर दिया गया, जिसके दूसरे दिन बुधवार को महिला अभियंता भी शामिल हो गईं। बडी संख्या में थर्मल के अभियंताओं, कर्मचारियों व ठेका श्रमिकों ने राज्य सरकार के हठघर्मितपूर्ण निर्णय का नारेबाजी कर विरोध किया। श्रमिकों ने कहा कि थर्मल पावर प्लांटों को बडी कंपनियों को सौंपने पर पुरानेे ठेके रद्द कर दिये जायेंगे, जिससे हजारों स्थानीय गरीब मजदूर बेरोजगार हो जायेंगे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार हाडौती में नये उद्योग लगाने की बजाय सस्ती दरों पर मांग से अधिक बिजली उत्पादन कर रहे बिजलीघरों को मनमानी ढंग से दूसरे हाथों में सौंपकर आम जनता के साथ खिलवाड कर रही है। यदि सरकार ने एकतरफा निर्णय पर पुनर्विचार नहीं किया तो इसे जनआंदोलन बनाकर प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं को जागरूक किया जायेगा।
न्यूज़ एजेंसी/ अरविन्द
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