नई दिल्ली, 23 दिसंबर (न्यूज़ एजेंसी)। नवंबर महीने में अंतरराष्ट्रीय बाजार से होने वाले कच्चे तेल के आयात के ट्रेंड में बदलाव हुआ है। इस महीने रूस से होने वाले कच्चे तेल के आयात में कमी आई है, जबकि इराक और सऊदी अरब जैसे देशों से होने वाला कच्चे तेल का आयत बढ़ कर 9 महीने के रिकॉर्ड ऊंचे स्तर पर पहुंच गया है। नवंबर महीने में भारत ने इराक और सऊदी अरब जैसे देशों से अधिक मात्रा में कच्चे तेल की खरीदारी की।
रूस और यूक्रेन के बीच जंग की शुरुआत होने के बाद से ही विश्व समुदाय ने रूस पर दबाव डालने के लिए कई आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए थे। इन प्रतिबंधों के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में रूस कच्चे तेल की बिक्री नहीं कर पा रहा था। ऐसी स्थिति में रूस ने अपने मित्र देशों को रियायती दर पर कच्चा तेल बेचना शुरू किया, जिससे वो खुद प्रतिबंधों के बावजूद बड़े आर्थिक संकट का सामना करने से बच गया, वहीं उसके मित्र देशों को रियायती दर पर कच्चा तेल मिलता रहा।
भारत सरकार ने भी प्रतिबंधों के बावजूद अमेरिका से कच्चे तेल की खरीदारी जारी रखी, जिससे भारत के ऑयल इंपोर्ट बिल में गिरावट भी आई। इस साल अक्टूबर तक भारत रूस से सबसे अधिक मात्रा में कच्चे तेल की खरीदारी करता रहा, लेकिन नवंबर महीने में इस ट्रेंड में बदलाव आया। नवंबर में रूस से होने वाले कच्चे तेल के आयत में करीब 13 प्रतिशत की कमी आ गई।
कच्चे तेल के आयात के आंकड़ों के मुताबिक नवंबर में रूस से प्रतिदिन औसतन 13.22 लाख बैरल कच्चा तेल मंगाया गया, जबकि अक्टूबर में ये आंकड़ा 15.20 लाख बैरल प्रति दिन का था। दूसरी ओर नवंबर महीने में सऊदी अरब और इराक जैसे देशों से होने वाला कच्चे तेल का आयात बढ़ कर 22.80 लाख बैरल प्रतिदिन के स्तर पर पहुंच गया, जबकि अक्टूबर में ये आंकड़ा 20.58 लाख बैरल प्रति दिन का था। इस तरह नवंबर महीने में मिडिल ईस्ट से होने वाले कच्चे तेल के आयात में 10.80 प्रतिशत की तेजी आ गई।
नवंबर महीने में भारत ने प्रतिदिन औसतन 47 लाख बैरल कच्चे तेल का आयात किया, जो अक्टूबर की तुलना में 2.5 प्रतिशत अधिक था। इस महीने मिडिल ईस्ट से तेल के आयात में बढ़ोतरी होने की वजह से टोटल क्रूड इनटेक में ओपेक के सदस्य देशों के कुल हिस्सेदारी बढ़कर 53 प्रतिशत हो गई, जो पिछले 8 महीने का सर्वोच्च स्तर है। वहीं रूस, अजरबैजान और कजाकिस्तान जैसे स्वतंत्र देशों की हिस्सेदारी अक्टूबर महीने के 40 प्रतिशत से गिर कर 35 प्रतिशत पर आ गई।
बताया जा रहा है कि भारत में ऑयल रिफायनरीज के प्लांट्स में जारी एनुअल मेंटेनेंस प्रोग्राम की वजह से रूस से होने वाले तेल के आयात में कमी की गई है, क्योंकि भारत और रूस के बीच ऑयल ट्रेडिंग को लेकर पहले से कोई फिक्स कॉन्ट्रैक्ट नहीं है। दूसरी ओर, मिडिल ईस्ट के देशों से पहले से ही हुए एनुअल कॉन्ट्रैक्ट के कारण भारत को उन देशों से पहले से तय मात्रा के मुताबिक कच्चे तेल का आयात करना पड़ा। जानकारों का कहना है कि दिसंबर में भी रूस से होने वाले कच्चे तेल के आयात में तुलनात्मक तौर पर कमी बनी रहेगी, लेकिन रिफाइनरीज में एनुअल मेंटेनेंस का काम खत्म होने के बाद जनवरी से एक बार फिर कच्चे तेल के आयात में रूस भारत का सबसे बड़ा साझेदार बन जाएगा।
————-
न्यूज़ एजेंसी/ योगिता पाठक
Discover more from सत्यबोध इंडिया न्यूज़
Subscribe to get the latest posts sent to your email.