यूपीसीए की अनियमितताओं पर छाये जांच के बादल

बीसीसीआई की एजीएम में शामिल होने के लिए नियमों का पालन कर पाएगा यूपीसीए!

कानपुर, 22 दिसंबर (न्यूज़ एजेंसी)। उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (यूपीसीए) पर उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री व रणजी खिलाड़ी रहे मोहसिन रजा बराबर मुखर हैं। वह लगातार यहां की अनियमितताओं को उजागर कर रहे हैं। हालांकि इससे पहले भी यूपीसीए से जुड़े कुछ लोग शिकायत कर चुके हैं, लेकिन मोहसिन रजा के सामने आने से यहां पर हुए भ्रष्टाचार जन जन तक पहुंच रहे हैं। इन आरोपों पर सच्चाई क्या है वह तो जांच के बाद ही पता चल पाएगा, लेकिन अब शासन ने मामले का संज्ञान ले लिया है और संयुक्त सचिव जांच अरविंद मोहन कर रहे हैं। हालांकि यह जांच अलीगढ़ क्रिकेट संघ से जुड़े पूर्व पदाधिकारी की शिकायत पर हो रही है। इस प्रकार यूपीसीए की अनियमितताओं पर जांच के बादल छा चुके हैं और जिम्मेदार कुछ भी कहने से बच रहे हैं।

उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के खिलाफ शिकायतों के भण्डारण के बाद शासन ने सख्त कदम उठाते हुए मामलों की जांच करने का निर्णय लिया है। शासन की ओर से संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी की नियुक्ति जांच के लिए कर दी गयी है। मुख्यमंत्री पोर्टल पर कई शिकायतों के मददेनजर शासन की ओर से यह कदम उठाया गया है। शासन की ओर से शुरु की जांच प्रक्रिया के बाद से शिकायतकर्ताओं को अब न्याय की उम्मीद जग गयी है। अलीगढ क्रिकेट संघ से जुडे पूर्व पदाधिकारी की ओर से दर्ज करवायी गयी शिकायतों में मुख्य रूप से ग्रीन पार्क स्टेडियम का उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ (यूपीसीए) द्वारा अनुबंध उल्लंघन, सरकारी खजाने को नुकसान और भ्रामक प्रचार के संबंध में कार्रवाई का निवेदन किया गया है। उन्होनें अपनी शिकायत में यह भी दर्शाया है कि ग्रीन पार्क स्टेडियम प्रदेश सरकार की अनमोल धरोहरों में शामिल है, जो राज्य के खेल विकास में अहम भूमिका निभाता है। लेकिन हालिया घटनाओं और तथ्यों से यह स्पष्ट है कि उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ (यूपीसीए) ने इस धरोहर को अनुचित लाभ का साधन बना लिया है। यह अनुबंध की शर्तों का खुला उल्लंघन करते हुए सरकारी खजाने को करोड़ों रुपये का नुकसान पहुंचा रहा है।

शिकायतकर्ता के मुताबिक 2015 में खेल विभाग और (यूपीसीए) के बीच हुए अनुबंध के अनुसार (यूपीसीए) को पहले पांच वर्षों तक 1 करोड़ रुपये और 2019 के बाद 1.25 करोड़ रुपये प्रति वर्ष का भुगतान करना था। इसके अलावा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मैचों के आयोजन पर अलग से 12-25 लाख रुपए किराए के रुप में देना था। हालांकि 2015 से 2021 तक (यूपीसीए) ने केवल 1 करोड़ रुपये जमा किया, जबकि 2019 से 1.25 करोड़ रुपए वार्षिक जमा करने का दायित्व था। इस प्रकार सरकारी खजाने को 12 करोड़ से अधिक के नुकसान का मामला बनता है।

मैच फीस और किराए में अनियमितताएं

यूपीसीए और ग्रीन पार्क के अधिकारियों की मिलीभगत से रसीद संख्या 1 (दिनांक 30/03/2016) में 71,000 रुपए की मैच फीस ली गई, जबकि सरकारी दर 62,500 रुपए थी। यह रकम सरकारी खजाने में जमा नहीं की गई। रसीद संख्या 656831 (दिनांक 22/04/2019) के तहत 62,500 रुपए की बुकिंग फीस ली गई और दबाव डालकर 10,650 रुपए का अतिरिक्त भुगतान करवाया गया।

आरटीआई द्वारा खुलासा

आरटीआई से यह जानकारी मिली कि यूपीसीए को बीसीसीआई के कार्यक्रमों को छोड़कर ग्रीन पार्क की बुकिंग करने का अधिकार नहीं था। बावजूद इसके यूपीसीए ने इस नियम का उल्लंघन कर अनुचित लाभ उठाया।

शिकायतकर्ता का कहना

अलीगढ़ क्रिकेट संघ से जुड़े रहे पूर्व पदाधिकारी ने प्रदीप सिंह ने बताया कि यूपीसीए की अनियमितताओं की शिकायत प्रदेश सरकार से लेकर भारत सरकार तक की गई थी। हर बार की तरह शिकायतों का निराकरण ही नहीं होता था, लेकिन हमने भी हार नहीं मानी और बराबर शिकायत करते रहे। आखिरकार उत्तर प्रदेश सरकार ने मामले का संज्ञान लिया है और मुख्यमंत्री सचिवालय से संयुक्त सचिव अरविंद मोहन जांच कर रहे हैं। अब हमें उम्मीद है कि यूपीसीए में फैला अनियमितताओं का जाल अधिक दिनों तक नहीं चल पाएगा। जांच के बाद दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग करेंगे।

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न्यूज़ एजेंसी/ अजय सिंह


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