मुख्य सचिव ने गोबर धन योजना के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए विभागों को सौंपी जिम्मेदारी

मुख्य सचिव राधा रतूड़ी।

– ग्रामीण विकास और स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में बड़ी पहल

देहरादून, 23 दिसंबर (न्यूज़ एजेंसी)। राज्य में ग्रामीण रोजगार और किसानों की आय को बढ़ावा देने तथा स्वच्छ ऊर्जा को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने सोमवार को भारत सरकार की गोबर धन योजना के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए संबंधित विभागों को जिम्मेदारी सौंपते हुए निर्देश दिए हैं कि पेयजल, पशुपालन, उरेडा, डेयरी और कृषि विभाग मिलकर समन्वित प्रयासों से कार्य योजना पर काम करें।

मुख्य सचिव ने पेयजल विभाग को योजना के सफल संचालन के लिए एक प्रभावी कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही डेयरी विकास विभाग को बायोगैस योजनाओं के समयबद्ध और गुणवत्तापूर्ण क्रियान्वयन का आदेश दिया है। उन्होंने बायो गैस संयंत्रों के लिए गोबर, अन्न आदि स्थानीय किसानों से खरीदने का भी निर्देश दिया। श्रीनगर (गढ़वाल) में 400 किलो प्रतिदिन बायोगैस उत्पादन क्षमता वाला एक बायोगैस संयंत्र संयुक्त उद्यम मॉडल पर स्थापित किया जाएगा, जिसमें प्राइवेट पाटर्नर द्वारा संयंत्र का संचालन और गोबर उपार्जन किया जाएगा।

इस संयंत्र से बायोगैस का उपयोग दुग्ध प्रसंस्करण और बेकरी उत्पादों में किया जाएगा। इसके अलावा तीन मीट्रिक टन जैविक खाद और आवश्यकतानुसार बायो पेंट का उत्पादन भी किया जाएगा। श्रीनगर के आसपास 29 दुग्ध समितियां और 2 गौशालाएं हैं, जिनसे गोबर की खरीद की जाएगी। गोबर के लिए किसानों से दो रुपये प्रति किग्रा और गांव/समिति स्तर पर एक रुपये प्रति किग्रा की दर पर क्रय किया जाएगा।

इसके अतिरिक्त रुद्रपुर में आंचल पशुआहार निर्माणशाला के तहत 1000 किलोग्राम बायो सीएनजी उत्पादन क्षमता वाला बायोगैस संयंत्र स्थापित किया जाएगा। इसे BOT मॉडल में स्थापित किया जाएगा, और इसका संचालन प्राइवेट पाटर्नर द्वारा किया जाएगा। इस संयंत्र से भी बायो सीएनजी, जैविक खाद (PROM) और बायो पेंट का उत्पादन होगा। रुद्रपुर में भी गोबर की खरीद के लिए किसानों से ₹2 प्रति किग्रा और गांव/समिति स्तर पर ₹1 प्रति किग्रा की दर से गोबर लिया जाएगा।

मुख्य सचिव ने यह भी बताया कि व्यक्तिगत बायोगैस संयंत्र योजना के तहत लाभार्थियों को 2 घन मीटर क्षमता के संयंत्र प्रदान किए जाएंगे। इन संयंत्रों से उत्पन्न बायोगैस को लाभार्थी घरेलू एलपीजी के विकल्प के रूप में इस्तेमाल कर सकेंगे। इस योजना के तहत लगभग 50,000 की लागत आएगी, जिसमें 17,000 एनडीडीबी से अनुदान के रूप में प्राप्त होंगे, बाकी राशि सीएसआर और राज्य सहायता से पूरी की जाएगी।

बैठक में सचिव डॉ. बीवीआरसी पुरुषोत्तम सहित पेयजल, पशुपालन, डेयरी, उरेडा और कृषि विभाग के अधिकारी मौजूद थे।

न्यूज़ एजेंसी/ कमलेश्वर शरण


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