जिले में मुख्यमंत्री बालिका कैंसर प्रतिरक्षण योजना की शुरुआत

कार्यक्रम में अधिकारी व लाभार्थी बच्ची

कटिहार, 01 फरवरी (न्यूज़ एजेंसी)। बालिकाओं को गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर से सुरक्षित रखने के लिए शनिवार को जिले में मुख्यमंत्री बालिका कैंसर प्रतिरक्षण योजना की शुरुआत की गई है। इस दौरान जिले में 9 वर्ष से 14 आयुवर्ग के चिन्हित बालिकाओं को ह्यूमन पेपीलोमा वायरस (एचपीवी) टीका का पहला डोज लगाया गया। जिलाधिकारी मनेश कुमार मीणा और पुलिस अधीक्षक वैभव शर्मा द्वारा सदर अस्पताल में फीता काटकर एचपीवी टीकाकरण योजना की आरम्भ किया गया। एचपीवी टीकाकरण के पहले दिन सदर अस्पताल में 25 चिन्हित बालिकाओं को चिकित्सकों द्वारा एचपीवी का टीका लगाया गया।

इस अवसर पर जिलाधिकारी मनीष कुमार मीणा ने कहा कि बिहार राज्य में हर साल 30 वर्ष की उम्र के बाद बहुत सी महिलाओं द्वारा गर्भाशय कैंसर से ग्रसित पाया जा रहा है। भविष्य में बालिकाओं को गर्भाशय कैंसर से सुरक्षित रखने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिले में मुख्यमंत्री बालिका कैंसर प्रतिरक्षण योजना के तहत 09 से 14 आयुवर्ग के बालिकाओं के लिए ह्यूमन पेपीलोमा वायरस (एचपीवी) टीकाकरण की शुरुआत की गई है।

बिहार राज्य देश का पहला राज्य बन गया है जहां 9 से 14 आयुवर्ग की बच्चियों को गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर से सुरक्षित रखने के लिए टीकाकरण सुविधा उपलब्ध करा रहा है। इसके लिए कटिहार जिले में 400 डोज सुविधा उपलब्ध कराई गई है। इस दौरान सिविल सर्जन डॉ. जितेंद्र नाथ सिंह, एसीएमओ डॉ. जेपी सिंह, डीपीएम डॉ किशल्य कुमार, डीआईओ डॉ. एस सरकार, सदर अस्पताल सुपरवाइजर और अन्य स्वास्थ्य अधिकारी उपस्थित रहे।

सिविल सर्जन डॉ जितेंद्र नाथ सिंह ने बताया कि 09 से 15 आयुवर्ग की बालिकाओं को सर्वाइकल कैंसर से सुरक्षित रखने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा टीकाकरण अभियान चलाया गया है जिसके तहत जिले के चिन्हित सरकारी और प्राथमिक विद्यालयों के बालिकाओं को एचपीवी टीका लगाया गया है। टीकाकरण के पहले दिन 25 बालिकाओं को एचपीवी टीका के पहले डोज उपलब्ध कराई गई। टीका लगाने के 06 माह बाद सभी संबंधित लाभार्थियों को एचपीवी का दूसरा डोज लगाया जाएगा। टीका लगाने से सभी लाभार्थियों को सर्वाइकल कैंसर होने की संभावना खत्म हो जाएगी और लाभार्थी गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर ग्रसित होने से सुरक्षित रहेंगे। टीकाकरण के लिए उपस्थित सभी लाभार्थियों को टीका लगाने के बाद 30 मिनट चिकित्सकों की निगरानी में रखा गया जिससे कि उन्हें जरूरत होने पर चिकित्सकीय सहायता प्रदान किया जा सके।

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न्यूज़ एजेंसी/ विनोद सिंह


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