कुसंग से बचने का एक मात्र उपाय सत्संग

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औरैया, 12 दिसंबर (न्यूज़ एजेंसी)। अजीतमल तहसील क्षेत्र के गांव अलीपुर में चल रही श्री मद्भागवत कथा के पांचवे दिन आचार्य ने श्रीकृष्ण जन्म की कथा व उनकी बाल लीलाओं का बड़ा ही मार्मिक ढंग से प्रसंग सुनाया। कथा के दौरान उन्होंंने कहा कि जब ईश्वर जन्म लेते हैं, तब अंधियारी भादों काली की रात में भी चंद्रमा दिखाई पड़ता है। कालिन्दी भी अपने रौद्र रूप होने के वावजूद भगवान के दर्शन पाने के लिए आतुर थीं। वसुदेव जी घबरा रहे थे तभी भगवान ने एक पैर से जमुना जी को स्पर्श कर लिया। तो वह शांत हो गयीं। वसुदेव जी आराम से निकल गए और गोकुल में नंद बाबा के यहां छाेड़ दिया। वहां से योग माया रूपी बालिका को ले आये।

सुबह जैसे ही कंस को बालिका होने की जानकारी द्वारपालों ने दी तो कंस ने तत्काल उसे पैर से खींच कर पटकना चाहा। तभी वह कन्या हाथ से झूट गयी। बोली हे कंस तुम्हें मारने वाला गोकुल में जन्म ले चुका है। जहां गोकुल में बधाई गयी गयी थी। अगले प्रसंग में आचार्य ने पूतना के शब्दिक अर्थ बताते हुए कहा कि जो पुत्रों को मारे वही पूतना है। वह अपने स्तनों में जहर लगाकर भगवान को मारने काे आयी थी। भगवान ने उसके स्तन पीते ही उसके प्राण हर लिए और उसका उद्धार कर दिया। इसके बाद बकासुर त्रिदावत आदि राक्षसों के वध की कथा सुनाए। माखन चोरी की कथा भी बड़े ही सुंदर ढंग से कही। जीव व ब्रह्म का मिलन ही रासलीला है। अगले प्रसंग में कहा कि आज देश मे पछुवा हवाई हमारे देश में कुसंग को जन्म दे रही जिससे देश की युवा पीढ़ी में दरकन आने लगी है। उन्होंने कहा कि कुसंग से बचने का एक मात्र उपाय सत्संग है। इसलिए जीव को अधिक से अधिक ईश्वर का भजन व कीर्तन करना चाहिए। कार्यक्रम के संयोजक सारिका शुक्ला व उत्तम शुक्ला, भारत सिंह, मधु सिंह, राम गोविंद पांडेय, वरिष्ठ पत्रकार सुवीर कुमार त्रिपाठी आदि भक्त थे ।

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न्यूज़ एजेंसी/ सुनील कुमार


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