आत्मनिर्भरता के लिए तकनीकी वस्त्रों में नवाचार

प्रियंका सौरव

-प्रियंका सौरभ

उच्च प्रदर्शन सामग्री के रूप में तकनीकी वस्त्र आयात पर निर्भरता को कम करके और स्वदेशी क्षमताओं को बढ़ावा देकर रक्षा, स्वास्थ्य सेवा और बुनियादी ढाँचे जैसे क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता के लिए आवश्यक हैं। तकनीकी वस्त्र, जैसे कि जियो टेक्सटाइल, बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं की स्थायित्व और दक्षता को बढ़ाने के लिए महत्त्वपूर्ण हैं, खासकर प्राकृतिक आपदाओं से ग्रस्त क्षेत्रों में। तकनीकी वस्त्र क्षेत्र एक नए युग का वस्त्र है, जिसका उपयोग अर्थव्यवस्था के कई क्षेत्रों में होता है। तकनीकी वस्त्र ऐसा कपड़ा उत्पाद है, जो गैर-सौंदर्य प्रयोजनों के लिए निर्मित होता है, जहाँ कार्य प्राथमिक मानदंड होता है।

तकनीकी वस्त्रों में ऑटोमोटिव अनुप्रयोगों के लिए वस्त्र, चिकित्सा वस्त्र, भू-वस्त्र, कृषि-वस्त्र और सुरक्षात्मक कपड़े शामिल हैं। सरकार ने तकनीकी वस्त्रों और उनके अनुप्रयोगों में अनुसंधान एवं विकास प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन भी शुरू किया है। पूर्वोत्तर भारत के बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में सड़कों को स्थिर करने के लिए जियो टेक्सटाइल का उपयोग किया जाता है, जिससे विदेशी समाधानों पर निर्भरता कम होती है। रक्षा और एयरोस्पेस के लिए उन्नत वस्त्र यह सुनिश्चित करते हैं कि भारत अपनी रणनीतिक आवश्यकताओं को स्वतंत्र रूप से पूरा करे।

डीआरडीओ द्वारा सैन्य उपयोग के लिए स्वदेशी अरामिड-आधारित सुरक्षात्मक गियर विकसित किया गया था, जिससे महंगे आयात पर निर्भरता कम हुई। सर्जिकल मास्क, पीपीई और बायोडिग्रेडेबल मेडिकल फैब्रिक जैसे मेडिकल टेक्सटाइल स्वास्थ्य सेवा में आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करते हैं, जो आपातकालीन प्रतिक्रियाओं के लिए महत्त्वपूर्ण है। महामारी के दौरान भारत ने पीपीई किट के घरेलू उत्पादन को बढ़ाया और कुछ ही महीनों में आत्मनिर्भरता हासिल कर ली। एग्रोटेक फैब्रिक्स जैसे तकनीकी वस्त्र कृषि उत्पादकता में सुधार करते हैं, ग्रामीण विकास का समर्थन करते हैं और आयातित कृषि-समाधानों पर निर्भरता कम करते हैं। पॉलीहाउस कवर और फ़सल सुरक्षा जाल सालभर खेती के लिए नियंत्रित वातावरण बनाकर पैदावार बढ़ाते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में तकनीकी वस्त्र इकाइयाँ स्थापित करने से रोजगार सर्जन को बढ़ावा मिल सकता है, स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं को बढ़ने में मदद मिल सकती है और स्थायी आजीविका का समर्थन हो सकता है। ग्रामीण महाराष्ट्र में तकनीकी वस्त्र निर्माण के विकास ने स्थानीय समुदायों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार प्रदान किया है। चूंकि तकनीकी वस्त्र आयात-निर्भर संसाधनों की आवश्यकता को कम करते हैं इसलिए वे भारत की अर्थव्यवस्था को जलवायु-संचालित वैश्विक आपूर्ति झटकों के प्रति कम संवेदनशील बनाते हैं।

बायोडिग्रेडेबल टेक्सटाइल सामग्री का स्वदेशी उत्पादन पर्यावरणीय प्रभाव को कम करता है और आयात निर्भरता को कम करता है। स्मार्ट, टिकाऊ और मिश्रित वस्त्रों में अनुसंधान के लिए मिशन का वित्तपोषण ऐसे नवाचारों को बढ़ावा देता है जो घरेलू स्तर पर क्षेत्र-विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा कर सकते हैं। नमी सोखने वाले कपड़ों पर आईआईटी दिल्ली में शोध रक्षा कर्मियों के लिए सुरक्षात्मक गियर को बढ़ाता है। मिशन अनुसंधान संस्थानों और उद्योग के बीच साझेदारी की सुविधा प्रदान करता है, जिससे नई तकनीकों के तेजी से व्यावसायीकरण को बढ़ावा मिलता है। उन्नत चिकित्सा वस्त्रों के उत्पादन के लिए एसएमई को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण ने घरेलू आपूर्ति शृंखला को मजबूत किया है। मानकों और गुणवत्ता में सुधार करके, मिशन वैश्विक बाजारों में उच्च मूल्य वाले तकनीकी वस्त्रों का निर्यात करने की भारत की क्षमता को बढ़ाता है, जिससे आर्थिक विकास को समर्थन मिलता है। मिशन द्वारा समर्थित गुणवत्ता प्रमाणन के कारण यूरोप को भारत के तकनीकी वस्त्रों के निर्यात में वृद्धि हुई है। समर्पित परीक्षण प्रयोगशालाओं की स्थापना वैश्विक मानकों के अनुपालन को सुनिश्चित करती है, जिससे उत्पाद की विश्वसनीयता में सुधार होता है।

दिल्ली में राष्ट्रीय वस्त्र परीक्षण प्रयोगशालाएँ यूरोपीय मानकों को पूरा करने वाले प्रमाणपत्र प्रदान करती हैं, जिससे निर्यात क्षमता में वृद्धि होती है। नए आईपीआर दिशा-निर्देश स्वदेशी प्रौद्योगिकियों के विकास और संरक्षण को प्रोत्साहित करते हैं, जिससे भारत के तकनीकी वस्त्र क्षेत्र के बौद्धिक संपदा आधार को मजबूती मिलती है। स्मार्ट टेक्सटाइल के लिए आईआईटी मद्रास जैसे संस्थानों द्वारा दायर आईपीआर पेटेंट यह सुनिश्चित करते हैं कि मालिकाना तकनीक भारत के भीतर ही रहे। मिशन के तहत विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम उन्नत वस्त्र निर्माण के लिए तकनीकी कौशल को बढ़ाते हैं, उत्पादकता और नवाचार को बढ़ाते हैं। कपड़ा क्षेत्र कौशल परिषद के साथ सहयोग ने तकनीकी वस्त्र उद्योग में हजारों लोगों को प्रशिक्षित किया है। राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता के लिए आवश्यक नवाचार को बढ़ावा देता है, जिससे आयात निर्भरता के खिलाफ भारत की लचीलापन बढ़ता है। मिशन के तहत अनुसंधान एवं विकास तथा कौशल निर्माण में निरंतर निवेश से उच्च प्रदर्शन वाले वस्त्रों में भारत की रणनीतिक स्वायत्तता और मजबूत होगी।

(लेखिका, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

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न्यूज़ एजेंसी/ संजीव पाश


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