डॉ. श्रीगोपाल नारसन
रतन टाटा सिर्फ अरबपति नहीं बल्कि एक ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने टाटा समूह के साथ इस देश और इस देश के करोड़ों लोगों के लिए बहुत कुछ किया है। तभी तो रतन टाटा के निधन से हर कोई दुखी है। उन्हें संयमित जीवनशैली और टाटा ट्रस्ट के माध्यम से परोपकारी कार्यों के प्रति गहरी प्रतिबद्धता के लिए भी जाना जाता रहा है। उनके निधन के बाद यह सवाल उठ रहा है कि उनका उत्तराधिकारी कौन होगा?
टाटा संस के मानद चेयरमैन रतन नवल टाटा का 86 साल की उम्र में निधन हो गया। वे मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल की इंटेसिव केयर यूनिट में भर्ती थे और उम्र संबंधी बीमारियों से जूझ रहे थे। रतन टाटा ईमानदारी, नैतिक नेतृत्व और परोपकार के प्रतीक थे। करीब 3800 करोड़ रुपये की नेटवर्थ के मालिक रतन टाटा आजीवन अविवाहित रहे। एन चंद्रशेखर टाटा संस के 2017 से चेयरमैन हैं। उनके अलावा टाटा ग्रुप की अलग-अलग कंपनियों से ऐसे बहुत से लोग हैं, जो भविष्य में टाटा समूह में अलग-अलग जिम्मेदारी निभाते नजर आ सकते हैं। रतन टाटा के पिता नवल टाटा की दूसरी शादी सिमोन से हुई थी। उनके बेटे नोएल टाटा, रतन टाटा के सौतेले भाई हैं। रतन टाटा की विरासत हासिल करने के लिए उनका यह संबंध उन्हें एक प्रमुख उत्तराधिकारी का दावेदार बनाता है। नोएल टाटा के तीन बच्चे हैं, जिनमें माया, नेविल और लीह हैं। वे रतन टाटा के उत्तराधिकारी हो सकते हैं।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के शब्दों में, भारत ने एक ऐसे आइकॉन को खो दिया है, जिन्होंने कॉरपोरेट ग्रोथ, राष्ट्र निर्माण और नैतिकता के साथ उत्कृष्टता का मिश्रण किया। पद्म विभूषण और पद्म भूषण से सम्मानित रतन टाटा ने टाटा ग्रुप की विरासत को आगे बढ़ाया। वहीं, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि टाटा एक दूरदर्शी बिजनेस लीडर, दयालु आत्मा और एक असाधारण इंसान थे। उन्होंने भारत के सबसे पुराने और सबसे प्रतिष्ठित व्यापारिक घरानों में से एक को स्थिर नेतृत्व प्रदान किया। उनका योगदान बोर्ड रूम से कहीं आगे तक गया।
प्रसिद्ध उद्योगपति मुकेश अंबानी का कहना है कि रतन टाटा का जाना ना सिर्फ टाटा ग्रुप, बल्कि हर भारतीय के लिए बड़ा नुकसान है। व्यक्तिगत तौर पर रतन टाटा का जाना मुझे बहुत दुख से भर गया है, क्योंकि मैंने अपना दोस्त खो दिया है। रतन टाटा, दुनियाभर में फैले टाटा साम्राज्य के सबसे चमकदार रत्न थे। उन्होंने मैनेजमेंट की मॉडर्न तकनीकों को अपनाकर टाटा ग्रुप को दुनिया का भरोसेमंद ब्रांड बनाया। उन्होंने कभी भी टाटा के संस्थापकों के विजन से समझौता नहीं किया। आज जब नैतिकता का स्तर गिर रहा है, उस दौर में भी रतन टाटा व्यक्तिगत स्तर पर मॉरल वैल्यूज को थामे रहे। सही मायनों में रतन टाटा देश के उद्योग का प्रतिनिधित्व करते थे। हम विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हर क्षेत्र में उनके भरोसे, उत्कृष्टता और नवीनता के मूल्यों को अपनाते हुए प्रयास कर रहे हैं, यही रतन टाटा को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
वे भारतीय उद्योग के आधुनिकीकरण से गहराई से जुड़े थे। इससे भी अधिक इसके वैश्वीकरण के साथ जुड़े थे। बड़ी संपत्ति होने के बावजूद वे अपनी साधारण जीवनशैली और टाटा ट्रस्ट के जरिये परोपकारी कार्यों के लिए चर्चा में रहे। टाटा संस में अपने नेतृत्व के दौरान, उन्होंने टेटली, कोरस और जगुआर लैंड रोवर जैसी कंपनियों का अधिग्रहण करके टाटा समूह को मुख्य रूप से घरेलू कंपनी से वैश्विक पावरहाउस में बदल दिया। उनके नेतृत्व में टाटा वास्तव में 100 बिलियन डॉलर से अधिक मूल्य के वैश्विक व्यापार साम्राज्य में विकसित हुआ। ऐसे महान व्यक्तित्व को नमन।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।)
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न्यूज़ एजेंसी/ संजीव पाश
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