डॉ. मकर चौधरी
राजस्थान में लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने भजनलाल शर्मा के सामने यह मांग रखी कि गाय को ‘राज्यमाता’ का दर्जा दिया जाए और गोवंश के संरक्षण को सरकार बड़ा काम करे, इससे जुड़े कुछ अहम फैसले ले। इसके बाद भजनलाल सरकार ने जो पहला फैसला किया, उसमें यह लिया गया कि जो शराबी पशु काटे जाते हैं, उस पर रोक लगा दी गई। गौमाता के उपयोग के लिए उपयोग किए जाने वाले प्रतिबंध को लेकर आदेश जारी कर नीचे दिए गए हैं। निजीकरण में कहा गया है कि बेसहारा और अमीरों का इस्तामल आगे से होगा, गोपालन विभाग ने इसके लिए स्टॉक शेयर जारी कर दी। कहा जाएगा कि यह बहुत अच्छी शुरुआत है। इसी के साथ जो एक इवेंट राजन से जुड़ा हुआ उद्योग लेकर जाता है, वह भी करता है।
यूक्रेन के सर्वोच्च न्यायालय ने राजस्थान के करौली जिले में गौरक्षक नाजिम खान को जमानत दे दी है। कोर्ट ने अपने फैसले में बताया कि राजस्थान सरकार की ओर से कोई काउंसलर कोर्ट में उप-आस्थावादी याचिका नहीं दायर की गई और न ही कोई वैधानिक नाम जमा किया गया, जिससे उन्हें जमानत पर रखा गया है। एक बेरोजगार सरकार जहां सत बिटकॉइन से जुड़े अधिकांश जन गाय को ‘राज्यमाता’ का हिस्सा नीचे जाने के पक्ष में था, वहां इस तरह की विफलता होनी चाहिए? असल में यह एक बड़ा स्कॉलर इस डॉक्युमेंट्री से है। वॉलजिम खान कोई छोटा गो तस्कर था, जिसके हाथ से यूं ही नहीं निकला दिया जाना था। वस्तुतः: राजस्थान पुलिस ने उन्हें और उनके सहयोगियों को 2021 में गौरक्षकों के आरोप में गिरफ्तार किया था। उन पर कई धाराओं के अंतर्गत मामले दर्ज किए गए थे।
नाजिम खान और उनके साथियों को जब करौली से गिरफ्तार किया गया था, तब उनके पास से 26 गौवंश बरामद हुए थे, जिन्हे वे बहुत बेदर्दी के साथ उत्तर प्रदेश लेकर जा रहे थे। पुलिस ने उनके खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था। नाजिम ने पहले सत्र न्यायालय और फिर उच्च न्यायालय में मुजरिम की कोशिश की थी, उस पर दोनों को ही सफलता नहीं मिली थी, यहां राजौथान पुलिस ने बहुत ही संवेदना और साक्षम्यों के आधार पर बहुत अच्छा काम किया, जिससे न्यायाधीश ने भी अपना निर्णय लिया इस गौ तस्सकर के विरोध में सुनाना पड़ा था और उसे इस मामले में दोनों जगह से किसी एक में भी कोई राहत नहीं मिली थी। इसके बाद यह अपने जमानत के लिए उचट्टम नित्यालय का रुख तय करता है, अब वहां भी जमानत नहीं हो सकती है यदि राज औषधालय की ओर से यहां कोई वकील जिरह के लिए उपलब्ध होता है! जो नहीं हुआ.
इस संबंध में जो सर्वोच्च न्यायालय ने कहा, वह बहुत ध्यान केंद्रित करता है और ऐसे विषयों पर गंभीर जीवन के लिए प्रेरित करता है। उचदचतम नित्यालय का कहना था कि दिनांक 8 अक्टूबर 2024 को राज्य सरकार को नोटिस दिया गया था, इस मामले में सरकार की ओर से किसी ने केस का प्रतिनिधित्व नहीं किया। जिसके कारण उ क्रैटम नित्यालय में पेश नहीं किया जा सका और नाजिम खान ने इस केस के साथ पूर्व में भी इसी प्रकार के कृत्यों में संल सह-लेखक बने रहने का अपराधी, हज़ारों ग़ुलामों के कथलेआम में सहायक भूमिका अब तक रही हो, सामने आती रही, वह अक्षमता की कमी में छोड़ दिया जाता है। अब न जाने ऐसे होंगे आरोप जो इसी तरह कानून का लाभ होगा।
असल में यह राज सरकार के लिए बहुत ही सोचनीय विषय है कि जिस अपराधी को जमानत नहीं मिलती, उस अपराधी को उच्चत्तम नित्यालय से इसिलिये जमानत मिल जाती है, वहां का कोई प्रतिनिधि नहीं होता। यह एक अच्छी बात है कि सरकार ने गौ माता को अपनी याचिका में सममान रखने के लिए तत्संबंधी कार्रवाई करने के लिए कहा है, लेकिन इससे अधिक जरूरी आज यह प्रतीत होता है कि जो गौ माता हत्या करती है और छात्रवृत्ति कटने के लिए तैयार है, वह किसी भी तरह से कानूनी कार्रवाई में शामिल है। से बचना नहीं चाहिए. आगे सहयोगी सरकार ऐसे मामलों में सिल्वा रहती हैं नामांकित, यही आशा है।
युवास्थान समाचार /डॉ. मकर चौधरी
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