सम्पादकीय, 14/10/2024 – भारत में कानून का निर्माण इस उद्देश्य से किया गया है कि सभी नागरिक और सरकारी संस्थाएँ एक समान नियमों का पालन करें। लेकिन एक बड़ा सवाल यह है कि क्या ये कानून केवल आम जनता के लिए हैं, या फिर सरकारी विभागों और अधिकारियों पर भी समान रूप से लागू होते हैं? हाल के वर्षों में कई मामले सामने आए हैं जहाँ सरकारी विभाग खुद कानून का पालन नहीं करते, जिससे आम लोगों में असंतोष बढ़ता जा रहा है।
क्या है कानून का वास्तविक उद्देश्य?
कानून का मुख्य उद्देश्य समाज में शांति, सुरक्षा और न्याय बनाए रखना है। यह सुनिश्चित करता है कि सभी नागरिकों के अधिकारों की रक्षा हो और कोई भी व्यक्ति या संस्था अपनी शक्ति का दुरुपयोग न करे। लेकिन जब कानून का पालन करने वाली संस्थाएँ खुद इसका उल्लंघन करती हैं, तो इससे कानून की नींव कमजोर होती है और न्यायिक प्रणाली पर सवाल खड़े होते हैं।
सरकारी विभागों में कानून के उल्लंघन के प्रमुख उदाहरण
- आरटीआई (सूचना का अधिकार) कानून का उल्लंघन:
सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI) 2005 को इस उद्देश्य से लागू किया गया था कि जनता को सरकारी विभागों से जानकारी प्राप्त करने का अधिकार हो। लेकिन कई बार सरकारी विभाग या अधिकारी समय पर जानकारी देने में विफल रहते हैं, या जानबूझकर जानकारी छिपाते हैं। इससे सरकार की पारदर्शिता पर सवाल खड़े होते हैं। - पर्यावरण कानूनों का उल्लंघन:
सरकार ने पर्यावरण की रक्षा के लिए कई कड़े कानून बनाए हैं, जैसे पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986। लेकिन कई सरकारी प्रोजेक्ट्स और विभाग इन कानूनों का पालन नहीं करते। चाहे वह अनियंत्रित निर्माण कार्य हो या पर्यावरणीय मंजूरी के बिना परियोजनाओं का संचालन, ये उदाहरण दिखाते हैं कि सरकारी विभाग खुद ही पर्यावरण कानूनों का उल्लंघन करते हैं। - श्रम कानूनों का पालन न करना:
सरकारी विभागों में ठेका कर्मचारियों की नियुक्ति और उनके अधिकारों का हनन एक आम बात है। श्रम कानून के अनुसार हर कर्मचारी को उचित वेतन, छुट्टियों और अन्य सुविधाओं का हक है, लेकिन सरकारी विभाग खुद ही इस नियम का उल्लंघन करते हैं। कई बार ठेका कर्मचारियों को उनकी सेवाओं का उचित भुगतान नहीं किया जाता या फिर उनके अधिकारों की अनदेखी की जाती है। - अनुशासनात्मक कार्रवाई में देरी:
सरकारी कर्मचारियों द्वारा कर्तव्यों की अनदेखी या भ्रष्टाचार के मामलों में कार्रवाई में देरी एक और बड़ा मुद्दा है। अनुशासनात्मक मामलों में कार्रवाई समय पर न होने से उन अधिकारियों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता जो कानून का उल्लंघन करते हैं। - स्वच्छता और निर्माण मानकों का पालन न करना:
स्वच्छ भारत अभियान के तहत देशभर में स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए कई सरकारी योजनाएँ चलाई जा रही हैं। लेकिन खुद कई सरकारी इमारतों में स्वच्छता के मानकों का उल्लंघन देखने को मिलता है। इसके अलावा, निर्माण से जुड़े कानूनों का पालन भी सही ढंग से नहीं किया जाता, जैसे सरकारी भवनों में सुरक्षा मानकों की अनदेखी।
कानूनों का पालन सभी के लिए अनिवार्य है, चाहे वह एक आम नागरिक हो या फिर सरकार का कोई विभाग। अगर सरकारी विभाग खुद ही कानूनों का उल्लंघन करेंगे, तो जनता में यह संदेश जाएगा कि कानून केवल उन पर ही लागू होता है। इससे न्यायिक प्रणाली और लोकतंत्र पर सवाल उठेंगे।
कानूनों का पालन सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है कि सरकार अपने विभागों और अधिकारियों को भी उसी कठोरता से जवाबदेह बनाए, जैसा कि वह आम जनता को बनाती है। एक मजबूत और प्रभावी कानूनी प्रणाली तभी सफल हो सकती है जब सभी, चाहे वह कोई व्यक्ति हो या सरकारी संस्था, कानून का सम्मान करें और उसका पालन करें।
Discover more from सत्यबोध इंडिया न्यूज़
Subscribe to get the latest posts sent to your email.